अनिल मिश्र / गया
बिहार प्रदेश के गया जिला मुख्यालय से सटे डेल्हा थाना क्षेत्र का है। इसी में छोटकी नवादा पंचमोहनी के पास किराए के मकान में रहने वाला राजू कुमार का चौदह वर्षीय पुत्र कुछ महीनों से पर्ची निकालने का काम करता है। इसी पर्ची निकालने से उसकी प्रसिद्धि बाबा बागेश्वर की तरह होने लगी थी। इसका कुछ लोगों को लाभ महसूस हुआ तो चर्चा हुई और फिर इनकी प्रसिद्धि बढ़ने लगी। इसके बाद इस परिवार ने बाबा बागेश्वर की तरह चौदह वर्षीय बेटे को मशहूर करने के लिए किसी के कहने पर अजीबोगरीब हथकंडा अपनाया, जिसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। दरअसल, गया के एक परिवार ने मौत की ऐसी झूठी कहानी बनाई, जिस पर लोगों ने यकीन भी कर लिया, लेकिन 22 दिन बाद उसकी पोल खुल गई। बाबा बागेश्वर की तरह पर्ची वाले सिद्ध हस्त बनने के अजूबे टोटके को पूरा करने के लिए बाप-बेटे ने मिलकर अजीबोगरीब साजिश रच डाली। इसी साजिश के तहत पेशे से कंपाउंडर राजू कुमार ने अपने चौदह वर्षीय पुत्र मोहित कुमार को दूसरी जगह भिजवा दिया और फिर उसके बाद यह बात फैलाया कि उसका सिर कटा शव मिला है। शव को दफनाने का झूठा खेल भी खेला गया।
एक सुनियोजित योजना के तहत चौदह वर्षीय अपने के बेटे मोहित को पर्चा निकालने के काम में माहिर बनाने के लिए दूसरी जगह गोपनीय तरीके से रख दिया। इसके बाद अपने मुहल्ले में उसका सिर कटा शव मिलने की बात कहकर पुतले का अंतिम संस्कार कर दिया।इस पूरे प्रकरण में किसी तरह की जानकारी डेल्हा थाना की पुलिस को नहीं दी गई। अंतिम संस्कार के सारे कर्मकांड दशकर्म आदि भी कर दिए गए। अपने बेटे को जहां बाबा बागेश्वर की तरह पर्ची वाला बाबा बनने की कला सीख रहा था, जबकि उसका पिता राजू कुमार पेशे से कंपाउंडर है। वहीं इस घटना के बाद लोगों का मानना है कि पर्ची से आने वाले बीमार लोगों को कंपाउंडर द्वारा अच्छी दवाई दिए जाने से ठीक हो जाते थे। दवा में भभूत आदि में मिलाकर दिया जाता होगा और लोग ठीक होते होंगे और इसके बीच पर्ची वाले बाबा बागेश्वर के रूप में चौदह वर्षीय बेटे को प्रसिद्धि दिलाने का हथकंडा अपनाया होगा।
हालांकि, इस मामले के सामने आने के बाद मौके पर पहुंची डेल्हा थाना की पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी है। इस बीच पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो असलियत सामने आ गई। इधर परिवार वालों ने माना कि सिद्धी प्राप्ति और बाबा बागेश्वर की तरह मशहूर होने के लिए इस तरह का हथकंडा अपनाया था। इस संबंध में डेल्हा थाना प्रभारी देवराज ने बताया कि मोहित नाम के चौदह साल के लड़के की न तो अपहरण हुआ और न ही मौत हुई थी। साथ ही और न तो शव दफनाया गया था। सिर्फ बाबा बागेश्वर की तरह मशहूर होने के लिए परिजनों एक मनगढ़ंत कहानी बनाकर पूरे मुहल्ले में अफवाह फैलाई गई थी।