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हाईटेक टॉयलेट योजना … टांय-टांय फिस्स! …कोई सुविधा उपलब्ध नहीं, रु.९ लाख प्रति यूनिट बर्बाद

सामना संवाददाता / मुंबई
वसई-विरार मनपा द्वारा जनता की सुविधा के लिए २०१९ में शुरू किए गए स्मार्ट हाईटेक टॉयलेट आज बदहाल हालत में हैं। प्रत्येक टॉयलेट पर ९ लाख रुपए खर्च किए गए, लेकिन महज कुछ वर्षों में ये खंडहर बन चुके हैं। मनपा ने ठेकेदार को १० वर्षों तक रखरखाव की जिम्मेदारी सौंपी थी, फिर भी इनका हाल दयनीय है।
मनपा ने बिना उचित निगरानी के ठेकेदार को भुगतान कर दिया। संविदा के अनुसार, प्रत्येक वार्ड में अलग से सुपरवाइजर और सफाईकर्मी नियुक्त किए जाने थे, लेकिन मनपा ने कभी जांच ही नहीं की कि क्या ये कर्मचारी तैनात हुए या नहीं। अब अधिकारी नशेड़ियों और स्थानीय दुकानदारों पर ठीकरा फोड़ रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि जब ये टॉयलेट बनाए जा रहे थे, तब इस खतरे का आकलन क्यों नहीं किया गया?
सार्वजनिक धन का दुरुपयोग
मनपा और ठेकेदार ने जनता के पैसों से करोड़ों की योजना चलाई, लेकिन कोई जवाबदेही नहीं ली। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच और मनपा अधिकारियों व ठेकेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। जनता को अपने पैसे की बर्बादी पर सवाल उठाने का हक है। अब देखना ये है कि क्या मनपा इसके जवाब में ठोस कदम उठाएगी?

शिकायतों के बाद भी कार्रवाई नहीं
स्मार्ट टॉयलेट में सीसीटीवी वैâमरे, सिक्का-चालित दरवाजे और ऑटोमैटिक फ्लश सिस्टम जैसी सुविधाएं थीं, लेकिन ये सुविधाएं बर्बाद हो चुकी हैं। न मनपा ने चोरी की शिकायत दर्ज कराई और न ही ठेकेदार ने।

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