देश में एक बार फिर तथ्यहीन मुद्दे पर आंतरिक लडाई छिड़ गई। संभाजी नगर में मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग करने वाले एक दक्षिणपंथी समूह द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया था। इस विरोध प्रदर्शन के दौरान कुरान को जला देने की अफवाह फैल गई थी। कुछ समूह औरंगजेब के मकबरे को हटाने की मांग कर रहे थे। इससे मुस्लिम समूहों में व्यापक आक्रोश फैल गया। अफवाह के बाद मध्य नागपुर में बीते सोमवार को तनाव भी हो गया था। इस दौरान पुलिस पर पथराव किया गया। हिंसा में कुछ लोग घायल भी हो गए थे। लेकिन सवाल यही है कि आज देश किस दिशा में जा रहा है? क्या ऐसे मुद्दों से देश के विकास का कोई लेना-देना हो सकता है? धार्मिक संगठनों को अपने धर्म के लिए जागरूक करने व बढ़ाने की जिम्मेदारी तो सही लगती है, लेकिन दूसरे किसी धर्म के किसी शासक या धर्म के साथ छेड़छाड़ अच्छा नहीं लगता और इसकी जिम्मेदारी सरकार की होनी चाहिए, चूंकि मुख्य तंत्र प्रणाली ही संरक्षणकर्ता वो ही माने जाते है। ऐसी घटनाओं को लेकर आजकल का सिनेमा भी जिम्मेदार माना जा रहा है। जैसा कि हाल ही में छावा नाम की मूवी आई, जिसमें औरंगजेब की कहानी बताई गई और उसमें जिस तरह दिखाया गया कि किस तरह उसने हिंदुओं पर अत्याचार किए हैं। दर्शकों को यह समझना चाहिए कि फिल्म केवल मनोरंजन तक की सीमित होती है। यह बात हमें पहले से भी पता है कि पूर्व में कई मुस्लिम आक्रांताओं ने हिंदुओं के साथ दुराचार किए, लेकिन तीन सौ से अधिक वर्षों के बाद ऐसे मुद्दो को उखाड़ने से देश में एक नकारात्मक माहौल बन रहा है। दोनों धर्मो की बीच खाई बढ़ती जा रही है, जिसको लेकर हाल के साथ भविष्य में चुनौतियां बढ़ती जा रही है और सबसे ज्यादा पीढ़ा जब होती है, तब ऐसी घटनाओं में बेमौत लोग मारे जाते हैं। भारत जैसे देश के नागरिकों को यह समझना होगा कि यहां हर धर्म की बराबर मान्यता है और सबके लिए समान कानून भी हैं। यदि किसी ऐतिहासिक जगह या नाम में कोई बदलाव करना है तो वह सरकार का काम है। परिस्थितियां विषम होने के कू-प्रभाव लडा़ई-झगडों तक ही सीमित नही रह जाते इसका असर आने वाले कई समय तक रहता है। भारत युवाओं का देश है और आज हम अपनी उपस्थिति विश्व पटल पर ताकतवर होने की दर्शाते हैं। सोशल मीडिया के इस दौर में किसी भी घटना का बहुत तेजी से फैलना छोटी सी बात है। इसके अलावा कुछ लोग उसमें अपने हिसाब से बदलाव करके प्रस्तुत करते हैं और अधिकतर लोग उसे आगे बिना जांच किए आगे फोरवार्ड कर देते हैं, जिससे घटना बडा व नकारात्मक रूप ले लेती है। देश के एक बड़े शायर व कवि ने यह तक कह डाला कि वहां शौचालय बना दीजिए। देश में इन महोदय के लाखों-करोड़ों फॉलोवर्स हैं और ऐसे लोगों का आमजन पर बहुत प्रभाव भी पड़ता है। देश कि दिशा का सार्थक व विफल बनाने में ऐसे लोगों का भी अहम किरदार माना जाता है। हमें यह समझना होगा कि इतिहास के झरोखे से हम उन चीजों को सीखें, जिससे हम आगे बढें और देश का विकास हो और लिए हमारी तंत्र प्रणाली को भी युद्ध स्तर पर जिम्मेदारी लेनी होगी चूंकि कुछ लोगों द्वारा घटित घटनाओं से देश ही दुनिया में इस बात का असर पड जाता है। मात्र कुछ लोगों की वजह से हम दो धाराओं में बटते दिख रहे हैं, जबकि हमारा उद्देश्य एक ही है और यह हमें अपनी युवा पीढ़ी को समझाना भी है और आगे भी बढ़ना है। इस मामले पर संभाजी नगर के व्यापारियों ने बताया कि इस घटना के बाद व्यापार में भारी नुकसान भी हो रहा है।स्पष्ट है कि दोनो धर्मों का एक-दूसरे व्यापार भी है व्यवहार भी है। गलत तो कोई भी हो सकता है और कहीं भी हो सकता है। इतिहास में यदि किसी ने गलत किया था तो उसको जिम्मेदार मानना चाहिए। आज उस बात का क्या मायना निकाल सकते हैं। देश को प्रगतिशील बनाने के लिए इतिहास के केवल गुणवत्ताओं वाले मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए और हर स्थिति में सौहार्द बनाए रखने के लिए आपसी भाईचारा बनाए रखने के लिए तालमेल जरूरी है।
योगेश कुमार सोनी
वरिष्ठ पत्रकार