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कीर्तन की है रात बाबा आज थाने आनो है !..फाल्गुन महोत्सव में राशि और विकास ने बहाई भक्ति रससिक्त गीत की गंगा

विक्रम सिंह / सुल्तानपुर

राशि पाटनी व विकास झा ने अवध क्षेत्र के सुल्तानपुर जिले में आयोजित श्रीश्याम फाल्गुन महोत्सव में भक्तिरससिक्त गीतों की ऐसी गंगा बहाई कि श्रद्धालु भावातिरेक होकर थिरक उठे। शनिवार की रातभर दरियापुर स्थित मैरिज लॉन में श्रीश्याम सत्संग मंडल के तत्वावधान में महोत्सव के दौरान भव्य दरबार में बैठे खाटू नरेश की नयनाभिराम छवि को एक श्रद्धालु एकटक निहारते रहे। दर्शन-पूजन के लिए कतारें लगी रहीं। महोत्सव का प्रारंभ जजमान संतोष अग्रवाल द्वारा विधिविधान से पूजन-अर्चन व ज्योत प्रज्वलन के साथ हुआ। मंच संचालन कर रहे राजवीर श्रीवास्तव ने गणेश वंदना, हनुमत स्तुति व मंडल सदस्य गौरव अग्रवाल ने श्याम भजन प्रस्तुत किया। इसके पश्चात मंच पर पहुंचे कोलकाता से पधारे विकास झा। जिन्होने ‘दानी दयालु तेरे द्वार पे जो भी आया,श्याम तेरी किरपा उस पर हो गई’ तथा ‘कीर्तन की है रात बाबा आज थाने आनों है’ पर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। ‘मेरा भोला है भंडारी,करे नंदी की असवारी’ पर तो लोग थिरक उठे। हरियाणा के फरीदाबाद से पधारीं स्वरकोकिला राशि पाटनी ने तो श्रद्धालुओं को अपने सुरों के जादू में बांध लिया। उनके आकर्षक भजनों ‘मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है’, ‘हमे तो जो भी दिया श्याम बाबा ने दिया’,’भर दे रे श्याम झोली भर दे’, ‘न बहलाओ बातों में’ आदि पर लोग भावविभोर हो गए। उन्होने गौमाता पर होने वाले अत्याचार पर मार्मिक भजन ‘गइया तुम्हारी रो रो पुकारे आ जाओ तुम हारे के सहारे’ पर सभी की आंखें नम हो गई।विभिन्न गौ सेवकों तथा संस्था द्वारा उन्हें स्मृति चिन्ह दे कर सम्मानित किया गया।तत्पश्चात ‘आज बिरज में होली रे रसिया’, ‘मुकुट सिर मोर का मेरे चित चोर का’, ‘होलिया में उड़े रे गुलाल श्याम तेरे मंदिर में’ आदि भजनों पर भक्त थिरकने पर मजबूर हो गए तथा फूलों की होली खेलते हुए खूब जमकर नृत्य किया । सजीव झांकी के माध्यम से ‘कालिया नाग मर्दन’ का मनमोहन मंचन किया गया। कार्यक्रम स्थल पर पुरुष राजस्थानी पगड़िया तथा महिलाओं ने राजस्थानी चुनरी धारण कर परिवार सहित सेल्फी लेने में लगे रहे। राधे जी की रसोई आकर्षण का केंद्र रही। पालिकाध्यक्ष प्रवीन अग्रवाल,अशोक अग्रवाल,आशीष अग्रवाल एडवोकेट,पिंटू अग्रवाल , मुकेश अग्रवाल , आलोक कनोडिया, अशोक मुरारका, रजत कानोडिया,अंकुर, विजय विद्रोही,श्वेतम अग्रहरि, श्याम मोदनवाल, राजकुमार अग्रवाल,गंगा प्रसाद कसौधन, रवि जायसवाल आदि की भूमिका उल्लेखनीय रही ।

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