धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
महाराष्ट्र में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई है। राज्य के विभिन्न हिस्सों से आए दिन खून-खराबे की खबरें आ रही हैं। राजनीतिक दल के नेताओं और कार्यकर्ताओं तक की हत्याएं हो रही हैं। इसी में महायुति सरकार के कुछ मंत्री भड़काऊ बयानबाजी देते हुए नजर आ रहे हैं। इससे राज्य में कानून व्यवस्था बिगड़ रही है। इसका हालिया उदाहरण नागपुर दंगा है। इन सबके बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का गृह विभाग मानव संसाधन की कमी से कराह रहा है।
प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, गृह विभाग में मंजूर कुल २,३४,४३६ पदों में से ५६,९८४ यानी २१.६० फीसदी पद आज भी रिक्त हैं, जिसे भरने में सरकार दिलचस्पी दिखाती हुई नजर नहीं आ रही है। कुल मिलाकर ‘ईडी’ २.० को जनता की सुरक्षा का भान ही नहीं रहा है। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में करीब १२.८३ करोड़ की आबादी है, इसमें से महिलाओं की जनसंख्या छह करोड़ १६ लाख है। समर्थन बजटीय अध्ययन केंद्र के मुताबिक, इस आबादी की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य के विभिन्न थानों में कार्यरत एक लाख ९८ हजार ८७० पुलिसवालों पर है। पुलिस विभाग पर नजर डालें तो एक लाख की आबादी पर केवल १७२ पुलिसकर्मी सेवारत हैं, इसमें महिला पुलिसकर्मियों की संख्या ३६ हजार नौ है। इस तरह पुलिसवालों के कुल संख्या बल के मुताबिक, महिला पुलिसकर्मियों की संख्या केवल १८.११ फीसदी ही है। इस तरह पुलिस विभाग में महिलाकर्मियों की संख्या १६.६१ फीसदी कम है। दूसरी तरफ गृह विभाग में दो लाख ६४ हजार ४३६ पद मंजूर हैं, जिसमें से २१.६० फीसदी यानी ५६ हजार ९८४ पद रिक्त हैं। इसके बावजूद, रिक्त हजारों पदों को भरने में महायुति सरकार किसी भी तरह की गंभीरता नहीं दिखा रही है। इससे राज्य में हत्याएं, लूटपाट, बलात्कार, बच्चियों के साथ अत्याचार समेत विभिन्न अपराधों में वृद्धि हुई है। विपक्ष भी आरोप लगा रहा है कि नियोजन शून्य महायुति सरकार के शासन में कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ रही हैं। अपराधियों के ऊपर मंत्रियों का संरक्षण है। इस वजह से अपराधी बेखौफ वारदातों को अंजाम दे रहे हैं और कानून व्यवस्था तार-तार हो रही है।
महायुति शासन में महिलाओं पर बढ़े अत्याचार
महायुति सरकार के शासन में महाराष्ट्र में महिलाओं पर भी अत्याचार के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। राज्य में वर्ष २०२३ में ७,५२४ और साल २०२४ में ७,९४० बलात्कार की घटनाएं घटित हुई हैं। इसी तरह महिलाओं के अपहरण और उन्हें भगाकर ले जाने की वर्ष २०२३ में ९,३६३ और वर्ष २०२४ में ८,८८३ मामले पंजीकृत हुए हैं। राज्य में वर्ष २०२३ में १७० और वर्ष २०२४ में १३९ दहेज हत्या के मामले दर्ज किए गए हैं। पति और रिश्तेदारों द्वारा क्रूर हत्याओं की भी महिलाएं शिकार हुई हैं।