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सच्चा हिंदुस्थानी!

पुरानी पीढ़ी के दिग्गज अभिनेता और निर्देशक मनोज कुमार के निधन के साथ ही हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का वह सितारा भी अस्त हो गया, जिसने फिल्मों के जरिए देशभक्ति की अलख जगाई। जब मनोज कुमार ने अंतिम सांस ली तब वे ८७ वर्ष के थे। मनोज कुमार न केवल एक हैंडसम हीरो और बेहतरीन अभिनेता के रूप में जाने जाते थे, बल्कि मनोज कुमार ने एक प्रखर देशभक्त शख्सियत के रूप में भी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी छाप छोड़ी। मनोज कुमार ने सोच-समझकर एक देशभक्त कलाकार के रूप में अपनी छवि बनाई और उसे बरकरार भी रखा। मनोज कुमार का असली नाम हरिकिशन गिरी गोस्वामी था। लेकिन उस जमाने के सुपरस्टार दिलीप कुमार के प्रति अपने अगाध प्रेम के कारण उन्होंने अपना नाम बदल लिया। १९४९ में रिलीज हुई फिल्म ‘शबनम’ में दिलीप कुमार का नाम ‘मनोज’ था। मनोज कुमार को यह फिल्म इतनी पसंद आई कि उन्होंने इसे कई बार देखा और जल्द ही अपना नाम हरिकिशन से बदलकर ‘मनोज कुमार’ रख लिया। मनोज कुमार का जन्म हिमालय की गोद, एबटाबाद में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है; लेकिन अपने करियर की सफलता के शिखर पर पहुंचने के लिए उन्होंने मुंबई और फिल्म इंडस्ट्री को चुना। विभाजन का दंश झेलने के बाद मनोज कुमार अपने परिवार के साथ हिंदुस्थान आ गए। कुछ दिन दिल्ली में
एक शरणार्थी शिविर में
गुजारने के बाद उनकी सारी शिक्षा-दीक्षा दिल्ली में हुई। लेकिन फिल्मों के प्रति उनकी दीवानगी उन्हें मायानगरी मुंबई ले आई। सिस्टम के खिलाफ नाराजगी और संघर्ष करने की हिम्मत, आग और साहस मनोज कुमार की फिल्मों में भरपूर दिखता है। शहीद भगत सिंह उनके प्रेरणास्रोत थे। १९६५ में भगत सिंह के जीवन पर आधारित देशभक्तिपूर्ण फिल्म ‘शहीद’ बनाई। इस फिल्म में भगत सिंह का किरदार खुद मनोज कुमार ने निभाया था। फिल्म सुपरहिट हुई; और देशभक्ति से ओतप्रोत गीत ‘ऐ वतन, ऐ वतन, हमको तेरी कसम’, ‘सरफरोशी की तमन्ना’ और ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ बेहद लोकप्रिय हुए। यह फिल्म स्वयं तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को बहुत पसंद आई थी और इसीलिए शास्त्री जी ने चीन युद्ध के बाद मनोज कुमार से उनके नारे ‘जय जवान जय किसान’ पर एक फिल्म बनाने का अनुरोध किया था। इसी विचार को लेकर मनोज कुमार ने फिल्म ‘उपकार’ बनाई। इस फिल्म ने एक बड़ा इतिहास रच दिया। इस फिल्म का भी देशभक्ति से ओतप्रोत गीत ‘मेरे देश की धरती, सोना उगले उगले हीरे-मोती’ को देशवासियों ने सचमुच हाथों हाथ लिया। आज भी इस गाने की लोकप्रियता उतनी ही बरकरार है। ‘क्रांति’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’ जैसी कई
देशभक्तिपरक फिल्में
मनोज कुमार द्वारा दी गई बहुमूल्य जमा पूंजी हैं। युद्ध के दौरान देशवासियों में देशभक्ति और वीरता फैलाने के लिए मनोज कुमार ने फिल्म माध्यम का बखूबी इस्तेमाल किया। अभिनेता और नायक के रूप में मनोज कुमार की कई रोमांटिक फिल्में हैं। इसके अलावा मोहम्मद रफी, मुकेश, महेंद्र कपूर आदि गायकों द्वारा गाये और मनोज कुमार पर फिल्माए गए लोकप्रिय गीतों की संख्या भी अपार है। ‘मैं ना भूलूंगा’, ‘कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे’, ‘पत्थर के सनम’, ‘कस्मे वादे प्यार वफा’, ‘हाय हाय ये मजबूरी’, ‘पानी रे पानी तेरा रंग कैसा’, ‘चल संन्यासी मंदिर में’, ‘ये दुनिया एक नंबरी’, ‘जिंदगी की ना टूटे लड़ी’ एक लंबी फेहरिस्त है। सच तो यह है कि बतौर नायक मनोज कुमार द्वारा ‘भारत कुमार’ नाम से बनाई गई देशभक्तिपरक फिल्मों ने देशवासियों को उनके इतना करीब ला दिया कि वह देश के हर परिवार के सदस्य बन गए। इस धारणा को खारिज करते हुए कि केवल हत्या, झगड़े और रोमांस वाली मसाला फिल्में ही बॉक्स ऑफिस पर सफल होती हैं, मनोज कुमार ने फिल्म उद्योग को देशभक्ति और सुपरहिट फिल्मों की एक शृंंखला दी। मनोज कुमार को फिल्मफेयर से लेकर पद्मश्री और दादासाहेब फाल्के तक कई शीर्ष सम्मान मिले। लेकिन देशवासियों द्वारा दिया गया ‘सच्चा हिंदुस्तानी’ अवॉर्ड मनोज कुमार के लिए सबसे बेहतर, सर्वोत्तम है। यही अवॉर्ड मनोज कुमार को भी पसंद आएगा!

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