मुख्यपृष्ठनए समाचारकसाईघर बने अस्पताल!..मंगेशकर हॉस्पिटल की घटना ने दिल को झकझोरा...सुषमा अंधारे का...

कसाईघर बने अस्पताल!..मंगेशकर हॉस्पिटल की घटना ने दिल को झकझोरा…सुषमा अंधारे का लोगों को भावुक पत्र

सामना संवाददाता / मुंबई

पुणे पिछले तीन से चार दिनों से चर्चा का विषय बना हुआ है। भाजपा विधायक अमित गोरखे के निजी सहायक सुशांत भिसे की पत्नी तनिषा को इलाज के लिए दस लाख रुपए नहीं भरने पर अस्पताल ने इलाज शुरू नहीं किया, जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई। इस घटना की पृष्ठभूमि में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की उपनेता सुषमा अंधारे ने एक भावुक पत्र लिखा है, जो दिल को झकझोर देनेवाला है।
सुषमा अंधारे ने राज्य के लोगों को संबोधित करते हुए लिखा है कि पिछले दो-तीन दिनों से बहुत मन कर रहा है कि आपसे कुछ कहूं, कुछ लिखूं। ऐसा लग रहा है जैसे पेट के अंदर गहरा गड्ढा बन गया हो। दो-तीन बार तो लिखा और फिर सब मिटा दिया, लेकिन अब यह लिखना और कहना जरूरी है।
हाल ही में सुशांत भिसे की पत्नी तनिषा ने अपनी जान गवां दी। मातृत्व की गहरी इच्छा एक दर्दनाक, करुण कथा में तब्दील हो गई। अस्पताल प्रशासन पर कोई कार्रवाई होगी या नहीं, इस पर संदेह ही है। अस्पताल ने अत्यंत असंवेदनशीलता दिखाई। सरकार भी उन पर कोई कार्रवाई नहीं करेगी। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की सहायता शाखाओं का लचर प्रबंधन उजागर हो गया है। गठित आयोग और समितियां सिर्फ चाय-बिस्किट तक ही सीमित रह जाएंगी। अब तक किसी भी आयोग या समिति ने सरकारी तंत्र को दोषी ठहराया हो या रिपोर्ट दी हो, ऐसा हुआ हो तो भी कभी किसी पर कार्रवाई नहीं हुई।
मुफ्त का राशन लेने वाली ८० करोड़ जनता वैâसे भरेगी बिल
अगले आठ-पंद्रह दिनों में अस्पताल प्रशासन और सरकार के गठजोड़ के बीच एक और मानव जीवन की चीखें खो जाएंगी। असंवेदनशीलता, लापरवाही, फाइलों की देरी, अस्पतालों का कसाईघर बन जाना, इन सब पर चर्चा धीरे-धीरे थम जाएगी। लेकिन एक सवाल अनुत्तरित ही रहेगा कि आखिर ये जान गई क्यों?
अगर उस परिवार के पास दस लाख रुपए होते तो क्या वो जान बचाई जा सकती थी? जिस देश के प्रधानमंत्री खुद कहते हैं कि ८० करोड़ लोग राशनिंग का अनाज खाते हैं, उस देश के आम नागरिकों के लिए क्या एक प्रसूति के लिए १० से २० लाख रुपए अस्पताल में देना संभव है?

अन्य समाचार