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प्रदूषण को रोकने में मनपा की सुस्ती! …नालों पर ट्रैश बूम्स लगाकर जिम्मेदारी की करेगी इतिश्री

– प्राकृतिक संसाधनों के प्रति बरती जा रही उदासीनता
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई जैसे तटीय महानगर में पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी मुंबई मनपा के कंधों पर है। परंतु हाल ही में सामने आई रिपोर्ट इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि यह जिम्मेदारी सिर्फ कागजों पर सीमित रह गई है। खबरों की मानें तो नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने वर्ष २०२२ में स्पष्ट आदेश दिया था कि शहर के नालों से बहने वाले प्लास्टिक, थर्माकोल और अन्य तैरते कचरे को समुद्र और मैंग्रोव्ज क्षेत्रों में जाने से रोका जाए।
रिपोर्ट की मानें तो शुरुआती तौर पर २०२२ में ९ स्थानों पर ट्रैश बूम्स लगाए गए, लेकिन उसके बाद परियोजना को व्यापक रूप से लागू करने में देरी होती रही। जब पर्यावरण पहले से ही खतरनाक स्तर पर पहुंच रहा है, तब इस तरह की धीमी गति से उठाए गए कदम प्राकृतिक संसाधनों के प्रति उदासीनता को दर्शाते हैं। अब जाकर पश्चिमी उपनगरों के छह और नालों पर ट्रैश बूम्स लगाने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
पहले जब ट्रैश बूम्स लगाए गए थे तो कचरा हटाने की कोई प्रणाली नहीं थी, जिससे पूरा प्रयोग विफल रहा। इसका सीधा अर्थ है कि मनपा ने बिना समुचित योजना के परियोजना शुरू की और फिर वर्षों तक परिणामों की प्रतीक्षा करते हुए समय गंवाया।
इस बीच तैरता हुआ कचरा लगातार समुद्र और मैंग्रोव्ज क्षेत्रों तक पहुंचता रहा, जिससे समुद्री जीवन, तटीय पारिस्थितिकी तंत्र और स्थानीय स्वच्छता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। यह स्थिति न केवल पर्यावरणीय संकट को गहरा करती है, बल्कि मनपा की जवाबदेही पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। क्या एक संवेदनशील महानगर को इतनी सुस्त कार्यप्रणाली के सहारे छोड़ा जा सकता है? यह प्रश्न आज हर जागरूक नागरिक के मन में उठना चाहिए।

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