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मुंबई में रोज निकल रहा ८,५०० टन मलबा! … केवल दो प्लांटों में हो रहा मलबों का निपटान!

– महज १,२०० टन प्रतिदिन है प्रोसेसिंग प्लांटों की क्षमता
– डेब्रिस के बोझ तले दम तोड़ती प्रशासनिक जिम्मेदारी
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई जैसे महानगर में प्रतिदिन ८,५०० टन से अधिक निर्माण और ध्वस्तीकरण (सी एंड डी) से मलबा उत्पन्न होता है, लेकिन इसके प्रभावी प्रबंधन को लेकर मुंबई मनपा की तैयारी सवालों के घेरे में है। रिपोर्ट की मानें तो केंद्र सरकार ने सी एंड डी वेस्ट मैनेजमेंट नियम, २०२५ अधिसूचित कर दिए हैं, जो १ अप्रैल २०२६ से लागू होंगे। इसके तहत एक साल की समयसीमा दी गई है, लेकिन मनपा की मौजूदा व्यवस्था इस दिशा में बेहद कमजोर नजर आ रही है।
फिलहाल मुंबई में सिर्फ दो प्रोसेसिंग प्लांट दहिसर और शिलफाटा में मौजूद हैं, जिनकी कुल क्षमता महज १,२०० टन प्रतिदिन है। जब शहर में उत्पन्न होने वाले मलबे की मात्रा इनसे कई गुना ज्यादा है, तो सवाल उठता है कि मनपा अब तक तीसरे प्लांट की स्थापना क्यों नहीं कर पाई? देवनार में तीसरे प्लांट की योजना वर्षों से लंबित है और यह प्रशासनिक सुस्ती को उजागर करता है।
इसके अलावा अवैध मलबा डंपिंग शहर में एक बड़ी समस्या बन चुकी है। मनपा दावा कर रही है कि एक मोबाइल ऐप विकसित किया जा रहा है, जो मलबे की ट्रैकिंग करेगा, लेकिन यह ऐप अभी तक जमीन पर नहीं उतरा है। यह सिर्फ योजनाओं में रह गया एक और वादा प्रतीत होता है।
नए नियमों के तहत सभी डेवलपर्स को पंजीकरण, रिपोर्टिंग और रिसायक्लिंग सुनिश्चित करना होगा, लेकिन मनपा की निगरानी और जवाबदेही की भूमिका सबसे अहम होगी। ऐसे में सवाल यह है कि जब वर्षों से मलबा प्रबंधन को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो अब एक साल में वैâसे बड़े पैमाने पर सुधार लाया जाएगा?

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