-वर्तमान में स्वामित्ववाली ७२३ बसों का होता है संचालन
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबईकरों को सस्ती यात्रा सुविधा देनेवाली बेस्ट बसों की अब उलटी गिनती शुरू हो गई है। बेस्ट की इस दुर्दशा का जिम्मेदार राज्य सरकार है। शायद यही वजह है कि बेस्ट के बेड़े में स्वामित्व वाली बसों की संख्या घटती जा रही है। हर महीने बड़ी संख्या में ये बसें स्व्रैâप में जा रही हैं और प्रशासन का कहना है कि दिसंबर के अंत तक बेस्ट के पास सिर्फ २४७ स्वामित्व वाली बसें ही बचेंगी। इसी के साथ यदि ठेकेदार कंपनियों ने पर्याप्त बसें उपलब्ध नहीं कराईं तो मुंबईकरों की बेस्ट यात्रा असुविधाजनक हो सकती है।
मुंबईकरों की दूसरी जीवनरेखा मानी-जानेवाली बेस्ट की आर्थिक स्थिति बेहद गंभीर हो गई है। बेस्ट पर करोड़ों का कर्ज है। ऐसे में जब सरकार की ओर से कोई ठोस पहल नहीं की जा रही तो स्वामित्व वाली बसों की संख्या तेजी से घट रही है। वर्तमान में मुंबई शहर और उपनगरों में कुल २,७०० बेस्ट की बसें दौड़ रही हैं, जिनमें एसी बसें भी शामिल हैं। इनमें से सिर्फ ७२३ बसें बेस्ट की स्वामित्व वाली हैं। बीते कुछ महीनों में स्वामित्व वाली बसों को स्व्रैâप में भेजने की रफ्तार तेज हुई है। यह सिलसिला जारी रहा तो दिसंबर के अंत तक केवल २४७ बसें ही बचेंगी।
६,५०० अतिरिक्त बसों की मांग को ठुकराया
बेस्ट के बेड़े में बसों की संख्या में भारी कमी आई है। नतीजतन, कई मार्गों पर बस सेवाएं घटानी पड़ी हैं, जिससे यात्रियों को परेशानी हो रही है। इस कारण बेस्ट प्रशासन ने छह ठेकेदार कंपनियों को
६,५०० अतिरिक्त बसें उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है, लेकिन इन कंपनियों ने इस मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया है। अगर ये बसें मिलतीं तो हर १० मिनट में एक नई बस स्टॉप पर पहुंच सकती थी।