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गरीबों के नाम पर चैरिटी अस्पतालों का महाघोटाला … हर साल डकार डाले रु. १३.५ हजार करोड़ का आर्ईपीएफ फंड!

शिंदे सरकार में जमकर हुई लूट, अब जागे फडणवीस
रामदिनेश यादव / मुंबई
राज्य में सरकार से भूखंड सहित तमाम सहूलियतें लेकर कई निजी अस्पताल शुरू होते हैं। ऐसे धर्मदाय अस्पताल इन सहूलियतों और छूट के बदले गरीब मरीजों के इलाज के लिए आईपीएफ फंड देते हैं। इस फंड के पैसे से ही धर्मदाय अस्पतालों में १० प्रतिशत निर्धन और १० प्रतिशत गरीबों का इलाज किया जाता है, लेकिन सरकार की अनदेखी का फायदा उठाते हुए राज्य के धर्मदाय अस्पतालों ने बड़े पैमाने पर आईपीएफ फंड का महाघोटाला किया है। हर साल लगभग १३.५ हजार करोड़ रुपए ये अस्पताल वाले डकार रहे हैं।
आश्चर्य तो यह है कि इन पैसे से राज्य के लगभग २ लाख मरीजों का इलाज किया जा सकता है। ऐसा दावा सरकार के स्वास्थ्य विभाग में बैठे एक अधिकारी ने किया। सूत्रों के अनुसार, धर्मदाय अस्पतालों द्वारा बड़े पैमाने पर घोटाला शुरू है। हर अस्पताल को आईपीएफ अकाउंट खोलने का सख्त निर्देश है, लेकिन कई अस्पतालों ने तो यह अकाउंट भी शुरू नहीं किया है। गरीबों के इलाज के नाम पर अपने कर्मचारियों और जानपहचान वालों को भर्ती कर वे गरीबों के नाम पर जमा आईपीएफ अकाउंट का पैसा हजम कर जाते हैं। कई ने तो मंत्रियों के करीबियों को लाभ पहुंचाया है, जो सांठगांठ का एक हिस्सा है। यदि जानकारी ली जाएगी तो कई मंत्री भी फंस सकते हैं। फर्जी मरीजों के नाम पर वे बिल भी बढ़ा-चढ़ाकर लगाते हैं। गरीबों को इन अस्पतालों में बेड्स तो क्या दरवाजे पर भी नहीं जाने दिया जाता है। मुंबई के कई बड़े अस्पताल तो खुलकर घोटाला करते हैं। पुणे में तो कुछ मंत्रियों का ऐसे अस्पतालों को संरक्षण भी है।
४६७ चैरिटेबल अस्पताल
महाराष्ट्र में कुल लगभग ४६७ चैरिटेबल अस्पताल हैं, जिनमें से ७४ मुंबई में स्थित हैं। इन धर्मार्थ अस्पतालों को अपने कुल बेड्स में से १० प्रतिशत गरीब रोगियों और १० प्रतिशत आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के मरीजों के लिए आरक्षित रखना अनिवार्य है। इस प्रावधान के तहत राज्यभर में गरीबों के लिए लगभग ६ हजार और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए भी लगभग ६ हजार बेड्स आरक्षित हैं, जिनकी जानकारी चैरिटी आयुक्त की वेबसाइट पर उपलब्ध है।

मुंबई में कुल ८,७०० बेड्स
चैरिटी अस्पताल के तहत राज्य में कुल लगभग १२ हजार बेड्स और मुंबई में कुल ८,७०० बेड्स हैं, जिनमें से १,७५० बेड्स गरीबों और दुर्बल लोगों के लिए आरक्षित हैं। इन अस्पतालों में वार्षिक आय १.८ लाख रुपए से कम होने वाले मरीजों को मुफ्त इलाज प्रदान किया जाता है, जबकि वार्षिक आय ३.६ लाख रुपए तक वाले मरीजों को रियायती दरों पर इलाज मिलता है।

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