-जिसके लिए प्रत्यर्पण हुआ सिर्फ वही ट्रायल चलेगा
-दूसरे अपराध के लिए भारत में केस नहीं चल सकता
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
२६/११ हमले का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा हिंदुस्थान भले ही आ गया है, मगर उसकी डोर अब भी अमेरिका के ही हाथ में है। उसे कई नियम व शर्तों के साथ यहां भेजा गया है।
तहव्वुर राणा के खिलाफ यहां केवल उसी मामले में मुकदमा चलाया जा सकता है, जो उसने प्रत्यर्पण के दौरान अमेरिकी कोर्ट के सामने लिखकर दिया है। अमेरिका से यहां लाए जाने के बाद, १९९७ के भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत भारत सरकार कुछ सख्त नियमों और शर्तों से बंधी हुई है। संधि का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है ‘विशेषता का नियम’। इसके तहत तहव्वुर राणा को भारत में केवल उसी अपराध के लिए हिरासत में लिया या मुकदमा चलाया जा सकता है या दंडित किया जा सकता है, जिसके लिए उसका प्रत्यर्पण हुआ है। अगर भारत सरकार किसी अन्य अपराध के लिए उस पर कार्रवाई करना चाहती है, तो यह संभव नहीं होगा। यह नियम राणा के अधिकारों की रक्षा करता है और भारत को अपनी कार्रवाई सीमित रखने के लिए मजबूर करता है। इसके अलावा हिंदुस्थान तहव्वुर राणा को किसी तीसरे देश को नहीं सौंप सकता है। इसके लिए अमेरिका से इजाजत लेनी पड़ेगी।
तीसरे देश नहीं भेजा जाएगा
संधि के अनुसार, प्रत्यर्पण से पहले किए गए किसी भी अपराध के लिए राणा को तीसरे देश को नहीं भेजा जा सकता। यह शर्त भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए भी बाध्य करती है। प्रत्यर्पण के बाद राणा को भारत में निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार मिलेगा।