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स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर सरकार गंभीर नहीं! …हाई कोर्ट ने लगाई राज्य सरकार को फटकार

सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई हाई कोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार को स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा से जुड़ी सिफारिशों को लागू करने में देरी को लेकर सख्त फटकार लगाई। रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार इस मुद्दे को लेकर गंभीर होती तो वह तुरंत कार्रवाई करती।
यह मामला बदलापुर में हुए बाल यौन शोषण की घटना के बाद स्वत: संज्ञान लेते हुए दायर जनहित याचिका से जुड़ा है। इसके बाद हाई कोर्ट ने एक समिति का गठन किया था, जिसमें सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति साधना जाधव, शालिनी फणसालकर जोशी और पूर्व आईपीएस अधिकारी मीरा बोरवणकर शामिल थीं।
समिति ने स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के लिए कई अहम सिफारिशें की थीं, जैसे-स्टाफ का चरित्र सत्यापन, सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य करना, बच्चों को अच्छे-बुरे स्पर्श की जानकारी देना, साइबर क्राइम के प्रति जागरूक करना, अलग शौचालय की व्यवस्था और १०९८ हेल्पलाइन नंबर को प्रमुखता से प्रदर्शित करना शामिल है। सरकारी वकील ने कोर्ट से कहा कि विभागों को सिफारिशों की समीक्षा के लिए समय चाहिए। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि क्या आप किसी और घटना का इंतजार कर रहे हैं? कोर्ट ने निर्देश दिया कि सिफारिशों के आधार पर जल्द से जल्द सरकारी आदेश (जीआर) जारी किया जाए।
अब इस मामले की अगली सुनवाई २८ अप्रैल को होगी। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर किसी भी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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