– लागत में वृद्धि का भी लगाया आरोप
सामना संवाददाता / मुंबई
कोस्टल रोड बनने के बाद से ही मनपा की फजीहत हो रही है। एक के बाद एक कोस्टल रोड की कमियां सामने आ रही हैं। हाल ही में आई कैग रिपोर्ट ने एक बार फिर कोस्टल रोड से जुड़े सनसनीखेज खुलासे किए हैं। कैग की एक प्रारंभिक रिपोर्ट ने २०२० से २०२४ के बीच की गई कई वित्तीय और परिचालन संबंधी अनियमितताओं की ओर इशारा किया है।
कैग द्वारा तैयार यह प्रारंभिक रिपोर्ट जुलाई २०२४ में मनपा के मुख्य इंजीनियर को सौंपी गई थी। रिपोर्ट में उद्घाटन से पहले सुरक्षा परीक्षण न कराने, निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल, लागत में वृद्धि और ठेकेदारों को अनुचित लाभ दिए जाने जैसी गंभीर बातों को उजागर किया गया है। एक वरिष्ठ मनपा अधिकारी ने कहा कि मनपा ने यह सुनिश्चित करने के लिए सभी मानकों का पालन किया है। उन्होंने बताया कि मनपा ने वैâग की टिप्पणियों का जवाब दिया है और पिछले महीने एक बैठक में अपनी बात रखी है। वैâग ने आश्वासन दिया है कि हमारी टिप्पणियों को अंतिम रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा।
उद्घाटन से पहले सुरक्षा मानकों की अनदेखी
प्रारंभिक रिपोर्ट में बताया गया है कि सड़क का उद्घाटन ‘टेस्टिंग और कमीशनिंग’ और ‘ऑपरेशन व मेंटेनेंस’ जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को पूरा किए बिना ही कर दिया गया। उद्घाटन के तीन महीनों के भीतर संरचनात्मक खामियां सामने आईं। मई २०२४ में दक्षिण की ओर जाने वाली सुरंग की दीवारों से पानी का रिसाव होने लगा, जिससे निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए। रिपोर्ट के अनुसार, मनपा ने स्थाई समाधान की बजाय दरारों में सीमेंट भर दिए। वैâग की रिपोर्ट ने २०२४ के मानसून में ४.९ मीटर ऊंची ज्वार के दौरान हाजी अली स्थित पैदल अंडरपास में जलभराव का भी उल्लेख किया। मनपा अधिकारी के मुताबिक, निर्माण प्रक्रिया के दौरान कच्चे माल से लेकर मशीनरी तक की जांच की गई थी। रिसाव की घटना अप्रत्याशित थी और इसके पीछे अन्य कारण थे, जिन्हें हमने अपने बयान में स्पष्ट किया है। कार्य की गुणवत्ता को दोष देना उचित नहीं है।
बिना टेंडर के दिए गए ठेके
प्रारंभिक रिपोर्ट में मनपा की आलोचना की गई है कि उसने कई ठेके बिना निविदा प्रक्रिया के सीधे आवंटित किए। उदाहरण के लिए मरीन ड्राइव से प्रियदर्शिनी पार्क खंड के लिए ट्रैफिक मैनेजमेंट कंट्रोल सिस्टम का ८०.८३ करोड़ का ठेका निर्माण से जुड़े मौजूदा सलाहकार को सीधे दे दिया गया। यह कार्य बिना प्रतिस्पर्धी बोली के दिया गया, जिससे मनपा की नीति और महाराष्ट्र सरकार के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन हुआ। रिपोर्ट में कहा गया कि विभाग ने भारत में विभिन्न टीएमसीएस कार्यों का अनुभव रखने वाले ठेकेदारों से प्रतिस्पर्धी दरें प्राप्त किए बिना ही काम मौजूदा सलाहकार को सौंप दिया, जिससे उसे अनुचित लाभ मिला।