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अब बारी ‘कुशपुर’ की…राजा नंदकुंवर की धरोहर को लेकर जंग का आगाज!

-सुल्तानपुर पहुंचा राजा नंदकुंवर को अपना पूर्वज मानने वाला राजभर समुदाय…१२ मई को जिला मुख्यालय पर बड़े धरना-प्रदर्शन की तैयारी…कुशपुर के अंतिम हिंदू शासक राजा नंदकुंवर के किले की जमीन से अतिक्रमण-कब्जे हटाने, पांचोपीरन मजार पर मेला बंद करने की मांग

विक्रम सिंह / सुल्तानपुर

लगता है संभल, बहराइच के बाद अब सुल्तानपुर का नंबर आ गया है ! मध्यकाल में मुस्लिम आक्रांताओं के विध्वंश से नष्ट-भ्रष्ट भगवान श्रीराम के पुत्र कुश के बसाए कुशपुर नगर (वर्तमान सुल्तानपुर) को लेकर राजभरों के संगठन ने बड़े आंदोलन का एलान कर दिया है। १२ मई को कुशपुर व यहां के अंतिम हिंदू शासक राजा नंदकुंवर के किले की जमीन पर अवैध कब्जों के खिलाफ राजभर समुदाय संपूर्ण सनातनी समाज को साथ लेकर जिला मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन और ज्ञापन देगा।
संभल और बहराइच में मुस्लिम लुटेरे सैय्यद सालार मसऊद गाजी की अकीदत में मेलों पर रोक के मामले जबसे शुरू हुए, तभी से सुल्तानपुर की पांचोपीरन मजार पर भी सवाल उठने लगे। राष्ट्रीय गौरक्षा वाहिनी व हिंदू महासंघ आदि पहले ही पांचोपीरन मजार को आक्रांताओं की कब्र बताकर डीएम को ज्ञापन सौंप चुकी है। अब तो राजभरों का देशव्यापी संगठन भी उस लड़ाई में कूद गया है। शुक्रवार को भारशिव क्षत्रिय संगठन के राष्ट्रीय प्रमुख राणा विजय भारशिव अपने साथियों के साथ सुल्तानपुर पहुंचे। उन्होंने सुल्तानपुर को महाराज कुश की बसाई नगरी ‘कुशभवनपुर’ बताया। दावा किया कि सरकारी दस्तावेज व इतिहास गवाह है कि करीब साढ़े सात सौ वर्ष पहले यहां के तत्कालीन अंतिम हिंदू शासक शैव मतावलंबी भर राजा नंदकुंवर की धोखे से हत्या करके मुस्लिम आक्रांता खिलजी ने कुशपुर नगर को नष्ट कर भयानक नरसंहार किया था। इसके बाद नाम बदलकर सुल्तानपुर नगर बसा दिया। यहां कुश महाराज के किले की जगह पर मस्जिदें और फर्जी मजारें बनवा दी गईं। अभी भी पूर्ववर्ती कुशपुर नगर के साक्ष्य व अवशेष मौजूद हैं, लेकिन इन पर मुस्लिमों के कब्जे हैं। अब वो वक्त आ गया है कि इन्हें मुक्त कराया जाए। डीएम को पत्र भेजकर भारशिव क्षत्रिय संगठन ने १२ मई को सड़क पर उतरकर प्रदर्शन की घोषणा की है। पत्र में कहा गया है कि पांचोपीरन मजार पर लगने वाला सावनी मेला तत्काल बंद किया जाय व सुल्तानपुर का नाम बदलकर कुशभवनपुर किया जाय।

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