अनिल मिश्रा / उल्हासनगर
उल्हासनगर के बगल म्हारल गांव की खदान है। खदान से निकलने वाले दर्जनों सिमेंट मिक्सर, डम्पर जैसे वाहनों से पत्थर, ग्रीट आदि तरह के पत्थर की ढुलाई शुरू है। ये वाहन उल्हासनगर से लेकर कल्याण-मुराबाड मार्ग से दूसरे शहर में जाते हैं। खदान के वाहन जिस मार्ग से जाते जाते हैं, वहां की हवा से लेकर सड़क पर धूल फैलाते जाते हैं। जिसके कारण सड़क के किनारे के दुकानदार, पदचारी, वाहन चालक खदान के वाहनों के चलते परेशान हैं। सबसे बडी बात तो यह है कि खदान के चलते उल्हासनगर मनपा आयुक्त मनीषा आव्हाले की स्मार्ट सड़क जैसी सुंदर योजना गर्त में मिलती दिखाई दे रही है।
उल्हासनगर में खदान संचालकों की लपरवाही के साथ ही तहसीलदार, स्थानीय पुलिस, मनपा प्रशासन की अनदेखी के कारण उल्हासनगर शहर की ऐसी की तैसी हो रही है। खदान वाहनों पर ओवर लोड खदान सामग्री लादने, उसके बाद शासन का निर्देश, जिसमें आदेश है कि पानी मार कर ही रेती वहन को ले जाया जाय। नियम का उलंघन करने वाले वाहन चालकों पर क्या कार्रवाई की जाएगी? म्हारल गांव से उल्हासनगर परिसर में स्वच्छता विभाग सफाई करते-करते परेशान है। इसके बावजूद सड़क से धूल खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। सड़क पर गिरे कंकड के कारण वाहन जहां पंचर हो रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ ग्रीट के उड़ने से लोगों की आंखें खराब हो रही हैं। इस बात को लेकर लोग प्रशासन से खफा हैं।
कमला नेहरू नगर राहिवासी संघ के अध्यक्ष सुभाष सिंह ने बताया कि यातायात, शहर पुलिस, मनपा के अधिकारी, तहसीलदार विभाग को चाहिए कि पर्यावरण के साथ ही मानवीय अंक के लिए घात्तक खदान कारोबारियों पर बनाये गये नियम का कठोरता के साथ पालन करने पर मजबूर करना चाहिए। नियम की ऐसी की तैसी करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
उल्हासनगर मनपा के जनसंपर्क अधिकारी अजय साबले ने बताया कि खदान वालों द्वारा प्रदूषण फैलाने की सत्यता की जांच कर नियम का पालन करने के लिए आरोपियों को बाध्य किया जाएगा।