अस्पतालों में ४,७१८ बेड बढ़ने की बाट जोह रहे मुंबईकर
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
मुंबई में मौजूदा जनसंख्या के कारण स्वास्थ्य संसाधनों के विस्तार की जरूरत को देखते हुए मनपा की ओर से कई परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं। इसी क्रम में शहर में बेडों की संख्या भी बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। इसके तहत शहर के ११ अस्पतालों में ४,७१८ बेड बढ़ाने के लिए पिछले तीन सालों से इमारतों का निर्माण कार्य चल रहा है। हालांकि, विभिन्न कारणों के चलते दो बार डेडलाइन पार हो चुकी है, फिर भी इन इमारतों का काम अभी तक अधूरा पड़ा है। ऐसे में नए बेडों के क्रियान्वयन की मुंबईकर बाट जोह रहे हैं।
बता दें कि मुंबई मनपा आए दिन दावा करती है कि वह शहर में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए कई तरह के प्रयास करते रही है। इसके तहत मुंबई में कई अस्पतालों को रेनोवेट किया जा रहा है। इसमें पश्चिम उपनगर में बांद्रा का केबी भाभा अस्पताल, गोरेगांव का सिद्धार्थ अस्पताल, बोरीवली का भगवती अस्पताल, बोरीवली-पूर्व का क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले अस्पताल, कांदिवली के भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मनपा अस्पताल, गोवंडी का शताब्दी अस्पताल, विक्रोली के क्रांतिवीर महात्मा ज्योतिबा फुले अस्पताल, मुलुंड का एमटी अग्रवाल अस्पताल, नाहुर का भांडुप मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल, कुर्ला-पश्चिम में नया आम अस्पताल और कर्मचारी कॉलोनी इमारत, घाटकोपर-पूर्व स्थित राजावाड़ी अस्पताल का पुनर्विकास और चांदिवली के संघर्ष नगर अस्पताल का निर्माण किया जा रहा है। इन ११ अस्पतालों का काम पूरा होने के बाद शहर में बेडों की संख्या ४,७१८ बढ़ जाएगी, लेकिन इन बेडों को बढ़ाने का काम कछुए की गति से चल रहा है। इस वजह से मुंबईकर सवाल उठा रहे हैं कि आखिरकार मनपा कब सक्रिय होकर रफ्तार से निर्माण कार्य पूरा कराएगी।
इतने फीसदी काम हुआ पूरा
वर्ष २०२३-२४ के बजट में कहा गया था कि एमटी अग्रवाल अस्पताल अक्टूबर २०२३ में पूरा हो जाएगा। इसके बाद वर्ष २०२४-२५ बताया गया कि अस्पताल का ८० फीसदी काम पूरा हो चुका है, शेष काम जून २०२५ तक पूरा हो जाएगा, लेकिन इस साल फरवरी तक ९० फीसदी काम ही पूरा हुआ था, जिसकी डेडलाइन मार्च २०२५ भी बीत चुकी है, लेकिन अभी तक इस अस्पताल का काम अधूरा पड़ा है। इसी तरह से शताब्दी अस्पताल में मनपा ने अक्टूूबर २०२३ तक बेड बढ़ाने का दावा किया था। हालांकि, फरवरी २०२४ में ७० फीसदी का पूरा हुआ, जिसे जून २०२४ और ९० फीसदी काम पूरा होने के बावजूद एक बार फिर से वर्ष २०२५ तक पूरा करने का दावा किया था, लेकिन यह डेडलाइन फिर से पार कर चुकी है।