महामंडल की मासिक आय
९०० करोड़, खर्च ९२० करोड़
सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र राज्य परिवहन महामंडल की बसों से रोजाना ५२ लाख यात्री सफर करते हैं, जिनमें से ३० लाख यात्री विभिन्न छूट वाली योजनाओं का लाभ उठाते हैं। इससे महामंडल की मासिक आय ९०० करोड़ रुपए है, जबकि डीजल और वेतन समेत अन्य पर खर्च ९२० करोड़ तक पहुंच गया है। आलम यह है कि एसटी महामंडल में आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया वाली स्थिति बन गई है। दूसरी तरफ महायुति सरकार द्वारा छूट की राशि समय पर न दिए जाने से हर महीने कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करने के लिए महामंडल को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कुल मिलाकर छूट की ३१ योजनाओं में लाल परी बसों का पहिया फंस गया है।
उल्लेखनीय है कि राज्य परिवहन महामंडल के बेड़े में वर्तमान में १४,००० बसें हैं, जो रोजाना ४०० से अधिक मध्यम और लंबी दूरी के मार्गों पर चलती हैं। हर महीने १५-१६ करोड़ यात्री इन बसों से यात्रा करते हैं, जिनमें से ५ करोड़ ‘लाडली बहनें’ और २ करोड़ वरिष्ठ नागरिक छूट का लाभ लेते हैं। इसके अलावा अन्य श्रेणियों के २ करोड़ यात्री भी छूट योजनाओं का फायदा उठाते हैं। परिवहन महामंडल की बसों से यात्रा करने वाली महिलाओं, स्कूली छात्राओं और वरिष्ठ नागरिकों सहित ३१ श्रेणियों को टिकट पर छूट दी जाती है। पहले सरकार हर साल महामंडल को छूट के लिए १,५०० करोड़ रुपए देती थी। लेकिन ‘लाडली बहन’ और ‘लाडले आजी-आजोबा’ योजनाओं के कारण यह राशि अब ३,००० करोड़ रुपए तक पहुंच गई है।
ऑडिट के बाद मिलेगी राशि
एसटी महामंडल के उपाध्यक्ष माधव कुसेकर ने कहा कि छूट योजनाओं के तहत सरकार पर अभी ९५६ करोड़ रुपए बकाया है, जिसके लिए ऑडिट की मांग की गई है। वित्त विभाग के निर्देश पर ऑडिट प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और रिपोर्ट आने के बाद ही महामंडल को यह राशि मिल पाएगी।
अब लगाई गई ऑडिट की शर्त
हर साल महामंडल सरकार से छूट योजनाओं की प्रतिपूर्ति के लिए फंड मांगता है। पहले सरकार देरी से ही सही, यह राशि जारी कर देती थी। लेकिन अब ९५६ करोड़ रुपए की बकाया राशि के लिए सरकार ने ऑडिट की शर्त रख दी है। इससे महामंडल की मुश्किलें बढ़ गई हैं, क्योंकि उसे पहले सेवा देनी होती है और बाद में पैसा मांगना पड़ता है।