खुशी की तलाश

फिर जिंदगी ने तबादला लिया
फिर हवा ने रुख बदला
फिर वक्त ने फैसला सुनाया
राही के मन को रास न आया
रास्ता बदल गया, मोड़ हिल गया
राही डगमगाया, चलने से घबराया
तन्हाईयां डसने लगी
अकेलेपन से हड़बड़ाया
पानी और चट्टानों से गुजरना हुआ
गमों का गिरोह छोड़ता नही
मंडराता रहता इर्द गिर्द
खुशी की खोज में निकल पड़ा राही
मंजिल दूर खड़ी देख मुस्कुराती रही
राही का इंतजार करती रही
और कहती प्यारे मेरे पास आ
मैं तुझे हर पल निहारती
तू इधर उधर भटकता कहां
मैं कोसों दूर तुझ से नहीं
तेरे भीतर हूं ऐ प्राणी
तुझसे दूर कभी जाती नहीं।
-अन्नपूर्णा कौल, नोएडा

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