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मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे की हवा में जहर …कैंसर और ग्लोबल वॉर्मिंग का बढ़ा खतरा

सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर दौड़ते वाहनों से निकलने वाला धुआं अब गंभीर स्वास्थ्य और पर्यावरणीय संकट का कारण बनता जा रहा है। आईआईटी बॉम्बे की ताजा रिसर्च में इस बात की पुष्टि हुई है कि इस एक्सप्रेसवे पर खासतौर पर डीजल वाहनों से निकलने वाले रसायन न केवल वैंâसर का कारण बन सकते हैं, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन को भी तेज कर रहे हैं।
रिपोर्ट की मानें तो यह अध्ययन पुणे के कामशेत टनल क्षेत्र में किया गया, जहां हवा में मौजूद पीएएच (पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन) नामक रसायनों की मात्रा को मापा गया। ये रसायन ईंधन जलने के दौरान निकलते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, इनका अधिक मात्रा में मौजूद होना खतरनाक है। रिपोर्ट में बताया गया है कि डीजल वाहन, जो कुल ट्रैफिक का ५१ फीसदी हैं, सबसे अधिक जहरीले कण छोड़ते हैं। पेट्रोल वाहन ४१ फीसदी और सीएनजी वाहन सिर्फ ८ फीसदी थे। खासतौर पर पुराने और ओवरलोड डीजल ट्रक प्रदूषण के बड़े कारण हैं।
शोध में पाया गया कि टनल के बाहर और अंदर की हवा में १३.५ प्रति घन मीटर तक वैंâसरकारी तत्व मौजूद थे, जबकि भारत की तय सीमा सिर्फ १ नैनोग्राम प्रति घन मीटर है। यह अंतर बेहद चिंताजनक है। इसके अलावा ये प्रदूषक वायुमंडल में प्रकाश को अवशोषित कर वातावरण को गर्म करते हैं, जिससे ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ती है। शोधकर्ताओं का सुझाव है कि अब वक्त आ गया है, जब सरकार को डीजल वाहनों पर नियंत्रण, सख्त उत्सर्जन नियम और स्वच्छ ईंधन की दिशा में कदम उठाने होंगे।

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