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बेलासिस ब्रिज तय समय से पहले होगा तैयार … बाकी प्रोजेक्ट्स के कामों में देरी क्यों?

प्रगति की कहानी या प्रचार की स्क्रिप्ट
सामना संवाददाता / मुंबई
जहां मुंबई अधूरे प्रोजेक्ट्स और मिस होती डेडलाइनों के लिए बदनाम है, वहीं एक रिपोर्ट की मानें तो मुंबई मनपा का दावा है कि बेलासिस ब्रिज जून २०२६ की तय समयसीमा से ६ महीने पहले ही बनकर तैयार हो जाएगा। अगर वाकई ऐसा होता है तो यह मुंबई जैसे महानगर में चमत्कार से कम नहीं होगा।
अगर १३० साल पुराना एक ब्रिज तय समय से पहले बन सकता है तो फिर बाकी प्रोजेक्ट्स क्यों सालों तक लटके रहते हैं? क्या हर प्रोजेक्ट को बेलासिस ब्रिज मॉडल नहीं बनाना चाहिए? या फिर यह सिर्फ एक ‘शो-केस प्रोजेक्ट’ है, जिससे बाकी नाकामियों पर पर्दा डाला जा रहा है।
ब्रिज बना, पर मछली
बेचने वालों का क्या?
नए ब्रिज की डिजाइन के कारण नीचे बैठकर मछली बेचने वाली महिलाएं प्रभावित हुई हैं। सिर्फ ७ को ही वैध लाइसेंस मिला है, बाकी को अवैध बताकर हटाने की तैयारी है। मनपा ने वर्षों में काराेबार कर रहीं बाकी महिलाओं को लाइसेंस क्यों नहीं दिए? यह सवाल अहम है।
प्रदर्शन की चेतावनी
मछुआरा संगठन ने एलान किया है कि अगर सभी महिलाओं का पुनर्वास नहीं किया गया तो २१ अप्रैल को ब्रिज साइट पर प्रदर्शन किया जाएगा। यानी निर्माण की रफ्तार के साथ विरोध की आहट भी तेज हो रही है।
मुंबई के कुछ प्रमुख
विलंबित प्रोजेक्ट्स
कुर्ला एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट
स्थिति : डेडलाइन कई बार बढ़ चुकी है, अब दिसंबर २०२५ तक का लक्ष्य।
प्रभाव : कुर्ला-पूर्व और रेलवे कॉलोनी के यातायात पर असर, मानसून में जलभराव की समस्या।
मुंबई मेट्रो लाइन ३
मार्ग : आरे से कफ परेड तक ३३.५ किमी की अंडरग्राउंड लाइन।
स्थिति : बार-बार देरी, अब २०२५ के अंत तक की उम्मीद।
मुंबई-अमदाबाद बुलेट ट्रेन
स्थिति : भूमि अधिग्रहण और पर्यावरणीय मंजूरी में देरी के कारण प्रगति धीमी।
सबक या सिर्फ प्रचार?
क्या बेलासिस ब्रिज अपवाद है या बदलाव की शुरुआत है? क्या मनपा हर परियोजना में ऐसी ही पारदर्शिता, समयबद्धता और संवेदनशीलता अपनाएगी? या फिर यह एक प्रचारमूलक सफलता है, जिससे बाकी विफलताओं पर पर्दा डाला जा रहा है?

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