विधान सभा की उपसभापति नीलम गोर्हे ने लगाई मुहर
सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य में भाजपा नेतृत्व वाली महायुति में आए दिन तीनों दलों में अंदरूनी झगड़े हो रहे हैं। भाजपा, शिंदे गुट और अजीत पवार गुट में तनातनी शुरू है। भाजपा शिंदे गुट को दबाने की पुरजोर कोशिश कर रही है, वहीं अजीत पवार गुट खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। कहीं न कहीं भाजपा से शिंदे और अजीत पवार गुट दोनों नाराज चल रहे हैं। ऐसे में महायुति का भविष्य अंधेरे में दिख रहा है। इस बीच शिंदे गुट की नेता और विधान परिषद में उपसभापति नीलम गोर्हे ने इस बात कि पुष्टि की है कि महायुति में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पुणे में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि महायुति का भविष्य बहुत लंबा नहीं चलेगा। इस बार शिंदे गुट महायुति में जरूर है, लेकिन भविष्य में इस पर जल्द विचार होगा कि महायुति में लंबे समय तक रहना है या अलग होना है।
उन्होंने बताया कि भाजपा के लोग शिंदे गुट को हर जगह दबाने की कोशिश कर रहे हैं भाजपा के कई कार्यक्रमों में हमारे नेता एकनाथ शिंदे का फोटो तक नहीं लगाया जाता है। ऐसे में भाजपा की प्रताड़ना से शिंदे गुट खफा है। नीलम गोर्हे के बयान से साफ जाहिर हो रहा है कि महायुति का भविष्य अंधेरे में है। बता दें कि पिछले कुछ दिनों में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एकनाथ शिंदे को एक के बाद एक कई झटके दिए हैं।
वर्चस्व के लिए खींचतान जारी
महायुति में शामिल तीनों दलों के अपने-अपने नेता हैं और हर कोई चाहता है कि उनका नेता गठबंधन का सबसे प्रभावशाली चेहरा माना जाए। एकनाथ शिंदे और अजित पवार दोनों ही खुद को मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार बता रहे थे। हालांकि, दोनो को उप मुख्यमंत्री पद ही दिया गया, तभी से दोनों नाराज हैं। इतना ही नहीं, मनपा व नपा और जिला परिषद जैसे स्थानीय निकायों में भी अपना-अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए भी खींचतान जारी है।
ठगा महसूस कर रहा शिंदे गुट
उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के कई पुराने निर्णयों को देवेंद्र फडणवीस ने एक झटके में रद्द कर दिया, चाहे वह एसटी का मामला हो या फिर शहरीकरण से जुड़े कुछ मामले हों। इतना ही नहीं, एकनाथ शिंदे गुट के मंत्रियों के विभाग में भी देवेंद्र फडणवीस ने सीधा हस्तक्षेप किया है। उनके मंत्रियों के कुछ निर्णयों को देवेंद्र फडणवीस ने अनुचित बताते हुए रद्द कर दिया। वहीं अजीत पवार गुट के कुछ मंत्रियों को हिदायत तो दी गई, लेकिन उन पर कोई सख्त कदम नहीं उठाए गए, जिस वजह से भी शिंदे गुट काफी नाराज महसूस कर रहा है। हाल ही में देवेंद्र फडणवीस ने अजीत पवार गुट पर भी पकड़ बनाए रखने के लिए मुख्यमंत्री वित्तीय सलाहकार पद का सृजन कर अपने करीबी पूर्व आईएएस अधिकारी प्रवीण परदेसी को बिठाया और अजीत पवार गुट पर पूरा नियंत्रण बना लिया है।