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लगन और मेहनत की दम पर आईपीएस से आईएएस बने विदिशा कलेक्टर अंशुल गुप्ता

दीपक तिवारी / विदिशा

देश और समाज के लिए कुछ करने का जज्बा विदिशा कलेक्टर अंशुल गुप्ता को बड़े मुकाम तक ले आया। लगन और मेहनत के दम पर उन्होंने आईएएस बनने का सपना पूरा किया है। आईपीएस से आईएएस बने अंशुल गुप्ता की उपलब्धियां, उनकी मेहनत और लगन युवाओं के लिए प्रेरणादायक है।
मध्य प्रदेश इंदौर निवासी अंशुल गुप्ता इंदौर में पढ़े-लिखे। उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि और शिक्षा ने उन्हें एक मजबूत आधार प्रदान किया। देश व समाज की सेवा के लिए उन्होंने यूपीएससी की तैयारी की। विदिशा कलेक्टर अंशुल गुप्ता ने खड़गपुर आईआईटी से बीटेक और एमटेक किया। 2007 में बंगलुरु से आईआईएम करने के बाद वे मल्टीनेशनल कंपनियों में उच्च पदों पर रहे। आईएएस का सपना पूरा करने के लिए वे यूपीएससी की तैयारी में जुटे रहे और 2012 में आईपीएस में सेलेक्ट होने के बाद उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद और मेरठ में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक व अलीगढ़ एसपी बने। इसके बाद भी उन्होंने यूपीएससी की तैयारी नहीं छोड़ी और 2016 में चौथे प्रयास में देश में 18वां स्थान प्राप्त कर आईएएस बने। मध्य प्रदेश कैडर मिलने के बाद अंशुल गुप्ता को जबलपुर स्मार्ट सिटी सीईओ बनाया गया। यहां से उन्हें प्रतिनियुक्ति पर केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय भेजा गया। 2018 में वे दोबारा मध्य प्रदेश लौटे तथा धार जिले के कुक्षी और इंदौर जिले के महू में एसडीएम रहे। 2020 में उमरिया जिला पंचायत सीईओ की कमान मिली। नगर निगम उज्जैन के कमिश्नर भी रहे। जहां उन्होंने बगैर सरकारी फंड के ऐतिहासिक तालाब का जीर्णोद्धार का काम किया। मुख्यमंत्री के उप सचिव भी रहे। उन्हें संचालक, जनसंपर्क बनाया गया। अभी हाल में हुए फेरबदल में मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने रोशन कुमार सिंह की जगह अंशुल गुप्ता को विदिशा कलेक्टर बनाया है।

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