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वाराणसी में बहू ने सास, ससुर और पति को मृतक दिखाकर किया मकान पर कब्जा… फर्जीवाड़े से मच गया हड़कंप…कर अधीक्षक सहित दो निलंबित

उमेश गुप्ता / वाराणसी

वाराणसी नगर निगम में एक चौंकाने वाला फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है, जिसमें एक महिला ने अपने ही पति, सास और ससुर को मृत दिखाकर मकान अपने नाम करा लिया। फर्जी दस्तावेजों और अधिकारियों की मिलीभगत से अंजाम दिए गए इस मामले का खुलासा होते ही निगम में हड़कंप मच गया है।
नगर आयुक्त अक्षत वर्मा की संस्तुति पर तत्कालीन कर अधीक्षक मुन्ना लाल राम और क्षेत्रीय कर निरीक्षक (द्वितीय श्रेणी) कुंवर विक्रम सिंह को निलंबित कर दिया गया है। वहीं दोषी कर अधीक्षक मुन्ना लाल राम की वेतन भुगतान पर रोक लगाते हुए उन्हें निदेशालय से संबद्ध कर दिया गया है। साथ ही फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत करने वाली महिला अर्पणा सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया गया है।
घटना के अनुसार, अर्पणा सिंह ने अर्दली बाजार स्थित एस 3/12 और 3/14 नंबर मकानों को हड़पने के उद्देश्य से अपने ससुर प्रमोद कुमार सिंह, सास राजकुमारी सिंह और पति मनीष सिंह को मृत घोषित कर दिया। इसके लिए उसने जौनपुर नगरपालिका से फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाए और वाराणसी नगर निगम में दाखिल कर दिए। कर अधीक्षक ने बिना किसी जांच के मकानों का नामांतरण अर्पणा सिंह के नाम कर दिया।
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि प्रमोद कुमार सिंह वर्तमान में पेंशन पर हैं और मनीष सिंह एक नामी कंपनी में प्रबंध निदेशक (MD) के पद पर कार्यरत हैं। इस फर्जीवाड़े की भनक लगते ही परिवार के सदस्य विनोद कुमार सिंह ने नगर आयुक्त से शिकायत की। उन्होंने अर्पणा सिंह पर नगर निगम के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से मकान पर अवैध रूप से कब्जा करने का आरोप लगाया। नगर आयुक्त ने इसे गंभीरता से लेते हुए दस्तावेजों की जांच कराई।
जांच में यह पुष्टि हुई कि अर्पणा सिंह ने फर्जी प्रमाण पत्रों के माध्यम से मकानों का नामांतरण कराया। यह भी स्पष्ट हुआ कि प्रमोद सिंह की पत्नी राजकुमारी सिंह जीवित हैं और सभी तथाकथित मृतक भी जीवित अवस्था में हैं। जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि तत्कालीन कर अधीक्षक मुन्ना लाल राम ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर धारा-213 के तहत नोटिस जारी किया था, जो नियम विरुद्ध था। नगर आयुक्त ने उनके खिलाफ कठोर रुख अपनाते हुए वेतन रोके जाने और निलंबन की संस्तुति शासन को भेजी थी। शासन ने संस्तुति पर संज्ञान लेते हुए उन्हें निलंबित कर निदेशालय से संबद्ध कर दिया है।
पूरा मामला अब अपर निदेशक ऋतु सुहास को जांच के लिए सौंपा गया है। इस फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद नगर निगम के अंदरूनी कामकाज पर सवाल उठने लगे हैं और विभागीय अफसरों में खलबली मची हुई है।

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