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मुआवजा राशि में कमी, रेलवे से खफा नागरिक! … कोर्ट जाने का किया फैसला

– बोरीवली, विरार के बीच ५वीं व ६ठी लाइन रेलवे प्रोजेक्ट का मामला
सामना संवाददाता / मुंबई
बोरीवली और विरार के बीच पांचवी व छठी लाइन रेलवे प्रोजेक्ट में बाधित होने वाली वसई की ६ इमारतों को रेलवे द्वारा बाजार मूल्य से कम मुआवजा घोषित किए जाने के कारण इमारतों के निवासियों में रेलवे के प्रति आक्रोश है। निवासियों का आरोप है कि रेलवे अत्यंत कम मुआवजा देकर हमारे साथ धोखाधड़ी कर रहा है। रेलवे ने नोटिस भेजकर घर खाली करने के निर्देश दिए हैं। इसके विरोध में निवासी आक्रामक हो गए हैं और इस मुद्दे को लेकर कोर्ट में जाने का निर्णय लिया है।
बढ़ती यात्रियों की भीड़, उससे होने वाली दुर्घटनाओं और नागरिकों को सुचारू सुविधा उपलब्ध कराने के लिए बोरीवली और विरार के बीच ५वीं व ६ठी लाइन का कार्य प्रगति पर है। वसई, विरार और नालासोपारा क्षेत्र में लाइन बिछाते समय १६ हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता होगी। वसई से नायगांव के बीच एक यार्ड तैयार किया जाएगा। इसके लिए रेलवे ने भूमि अधिग्रहण हेतु सर्वेक्षण किया था।
सर्वेक्षण के बाद रेलवे द्वारा प्रकाशित अधिसूचना के अनुसार, वसई रोड रेलवे स्टेशन के पास आनंदनगर क्षेत्र की केवल ५ इमारतें प्रभावित होंगी। इनमें श्रीराम कॉम्प्लेक्स, शिवशक्ति अपार्टमेंट, सहयोग अपार्टमेंट, आदर्श अपार्टमेंट और जगदीश कृपा शामिल हैं। इसके अलावा चंपा सदन इमारत का कुछ हिस्सा प्रभावित होगा। इन ५ इमारतों की बाउंड्री और प्रवेश द्वार प्रभावित होने वाले थे। इसलिए, इमारतों में रहने वाले निवासियों की मांग के अनुसार, सभी पांच इमारतों को पूरी तरह खाली कराने का निर्णय लिया गया था। श्रीराम कॉम्प्लेक्स में होटल और व्यावसायिक दुकानें हैं। शिवशक्ति में ९०, सहयोग में ४०, आदर्श में २१ और जगदीश कृपा में ५० परिवार रहते हैं। ये सभी इमारतें ३५ से ४० साल पुरानी हैं।
रेलवे पर धोखाधड़ी का आरोप
रेलवे ने भूमि अधिग्रहण करते समय निवासियों को बाजार मूल्य के अनुसार, मुआवजा देने का आश्वासन दिया था। अब रेडी रेकनर के अनुसार दर न देकर केवल निर्माण मूल्य के आधार पर एक समान मुआवजा घोषित किया गया है। निवासी अरुण मालवीय के अनुसार, यहां के हर घर की कीमत ५० से ६० लाख रुपए और दुकानों की कीमत लगभग १ करोड़ रुपए है, लेकिन रेलवे की ओर से १० से १५ लाख रुपए ही मिलेंगे। रेलवे द्वारा जारी की गई नोटिस अवैध है और भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में खामियां हैं। यह नोटिस रेलवे अधिनियम १९८९ और २००८ के नियमों का उल्लंघन करती है।

 

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