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अब मशीन से निकाली जाएगी उल्हास नदी की जलकुंभी…महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल की पहल

अनिल मिश्रा / कल्याण 

ठाणे जिले की महत्वपूर्ण उल्हास नदी जो 50 लाख से भी अधिक लोगों की प्यास बुझाती हैl उस नदी में प्रति वर्ष लाखों लीटर घरेलू, कंपनी के प्रदूषित पानी के मिलने के चलते नदी के पानी का प्रदूषण बढ़ रहा हैl इतना ही नहीं बदलापुर, अंबरनाथ, उल्हासनगर, कल्याण के आलावा उसके बीच के सैकडो़ं गांव का दूषित पानी आकर उल्हास नदी में मिलता हैl इस वर्ष एक महीने से ही आपटी, रायता, काम्बा, म्हारल, सिमा रिसॉर्ट, रीजेंसी एंटीलिया से मोहना के एनआरसी बांध तक जलकुंभी देखी जा रही हैl भारी विरोध के बाद जलकुंभी को निकालाने के लिए सरकार की नींद खुली हैl अब शुक्रवार से मशीन लगाकर जलकुंभी निकालाने की शुरुवात की गई हैl
बता दें कि उल्हास नदी में औद्योगिक, निवासी भाग के गंदे पानी को छोडने का विरोध 22 मार्च 2025 को विश्व जल दिवस के अवसर पर मी कल्याणकर संस्था के अध्यक्ष नितीन निकम, नगरसेवक उमेश बोरगावकर, कैलास शिंदे, श्रीनिवास घाणेकर, सुदाम गंगावणे ने नदी में छोड़ने वाले दूषित पानी को छोडने से रोकने के लिए बाल छिलवा कर नदी में बैठ कर सरकार का विरोध करते हुए आंदोलन किए थेl इस आंदोलन को लेकर सरकार जागीl सरकर ने 8 दिन में बैठक लेकर 15वें दिन से मशीन के द्वारा जलकुंभी निकालने का कार्य शुरू किया हैl अब शुक्रवार से मशीन के द्वारा जलकुंभी को निकालने का कार्य युद्ध स्तर पर शुरू किया गया हैl जलकुंभी को किनारे निकाल कर रखा जा रहा है, जिसे महाराष्ट्र प्रदूषण मंडल किनारे रखी गई जलकुंभी को नष्ट करेगीl जलकुंभी से महिलाएं घरेलू सामान, खाद बनाएंगी, ऐसी जानकारी भी दी गई हैl

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