विक्रम सिंह / सुल्तानपुर
करीब डेढ़ माह पूर्व चार मार्च को सुल्तानपुर शहर में घटित सनसनीखेज नरेश माहेश्वरी सुसाइड केस के मुख्य आरोपी भूमाफियाओं के गुर्गे टिक्कू कृष्णचंद्र सोनी ‘टोपी’ की अग्रिम जमानत अर्जी जिला न्यायाधीश ने खारिज कर दी है, वहीं इसी प्रकरण में सह अभियुक्त बनाए गए दिवंगत व्यवसायी के दो करीबी रिश्तेदारों की जमानत अर्जी को स्वीकार कर लिया है। हालांकि, इस सनसनीखेज मामले में सुल्तानपुर के पूर्व शहर कोतवाल नारद मुनि सिंह की लचर विवेचना पर सख्त टिप्पणी कर अदालत ने उंगली उठाई है, जिससे कि पूर्व विवेचक की भूमिका को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
सुल्तानपुर शहर के मानिंद माहेश्वरी परिवार के सदस्य रहे दरियापुर निवासी नरेश माहेश्वरी (५२) ने भूमाफियाओं के झांसे में आकर करोड़ों रुपए गंवाने के बाद गत ४ मार्च को ट्रेन के आगे कटकर जान दे दी थी। उनके सुसाइड नोट के जरिए सच्चाई सामने आई, जिससे पता चला कि सुल्तानपुर चौक घंटाघर इलाके के एक बड़े भूमाफिया के गुर्गे ने निवेश के बहाने माहेश्वरी की ५-६ करोड़ की रकम हजम कर ली थी, जिसे वो बार बार तगादा करने पर भी नहीं लौटा रहा था। सुसाइड नोट के आधार पर दिवंगत व्यवसायी की पत्नी ने एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें भूमाफिया के गुर्गे टिक्कू टोपी समेत पांच लोगों को आरोपित किया गया। विवेचना खुद तत्कालीन शहर कोतवाल नारदमुनि ने अपने हाथों में ली, लेकिन वे जांच के बजाय सिर्फ खानापूर्ति करके आरोपियों को ही परोक्ष मदद प्रदान करते रहे। न गिरफ्तारी न ही सघन जांच की। अंततः तीनों नामजद अभियुक्तों ने सत्र न्यायालय में अग्रिम जमानत की अर्जी दी डाली। जिस पर डीजे ने कुछ बिंदुओं पर सवाल करते हुए स्पष्ट आख्या विवेचक शहर कोतवाल से मांगी। जिस पर विवेचक ने अदालत में भी हीलाहवाली की। अंततः डीजे लक्ष्मीकांत शुक्ल ने कड़े शब्दों में विवेचक के कृत्य पर टिप्पणी की। मजबूरन इस सनसनीखेज वारदात के दो सह अभियुक्तों की अग्रिम जमानत अर्जी मंजूर कर मुख्य अभियुक्त टिक्कू टोपी की अर्जी नामंजूर कर दी है।
अदालत के इस रुख से अब सुल्तानपुर नगर कोतवाली पुलिस की भूमिका व मामले की जांच पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। सवाल ये भी है कि योगी सरकार जहां भूमाफियाओं के खिलाफ कड़े कदम उठाने के दावे करती है, वहीं सुल्तानपुर पुलिस का ये रवैया अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण नजर आ रहा है।