गजल
शरीफों की गली से
निकला मैं, हैरान हुए वो
बोले कि याद रखना
कहना न ये, किसी से।
अनजान हकीकत से यार
मै, जो हुआ वाकिफ
बोलो, किसे बताऊं
लगें सब यूं अजनबी से।
मुस्काते हुए, चेहरे का
राज उनसे पूछा
बोले वो, सच बताऊं
है प्यार, मुफलिसी से।
क्यों झाकते हो पूरन
क्यों, उनकी महफिलों को
जरा देखो तो घर अपना
जो है भरा खुशी से।
-पूरन ठाकुर जबलपुरी
कल्याण ईस्ट