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शैक्षणिक कर्ज से वंचित ३०० छात्र, डॉ. एपीजे. अब्दुल कलाम शैक्षणिक कर्ज योजना ५० करोड़ के लिए ठप

सामना संवाददाता / मुंबई
देश-विदेश में पढ़ाई करने वाले अल्पसंख्यक छात्रों को मौलाना आजाद अल्पसंख्यक आर्थिक विकास महामंडल की ओर से शैक्षणिक कर्ज प्रदान किया जाता है। यह डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम शैक्षणिक कर्ज योजना राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आर्थिक विकास बोर्ड के सहयोग से चलाई जाती है। लेकिन महायुति सरकार की तिजोरी खाली होने से पिछले तीन महीनों से इस बोर्ड ने ५० करोड़ रुपए का फंड मौलाना आजाद अल्पसंख्यक आर्थिक विकास महामंडल को नहीं दिया है। इसके चलते राज्य के लगभग ३०० अल्पसंख्यक विद्यार्थियों का देश-विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने का सपना अधूरा रह गया है। कुल मिलाकर यह कर्ज योजना महज ५० करोड़ के लिए ठप पड़ गई है।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार की डॉ. एपीजे. अब्दुल कलाम शैक्षणिक कर्ज योजना और मौलाना आजाद शैक्षणिक कर्ज योजना के तहत राज्य के अल्पसंख्यक छात्रों को कर्ज दिया जाता है। आर्थिक रूप से पिछड़े मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध, सिख, जैन, पारसी, यहूदी समुदाय के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए २७ सितंबर २००० को मौलाना आजाद अल्पसंख्यक आर्थिक विकास महामंडल की स्थापना की गई थी। इसके अंतर्गत विभिन्न कर्ज योजनाएं और प्रशिक्षण योजनाएं शुरू की गई थीं, लेकिन फंड की कमी के कारण ये योजनाएं अब ठप पड़ गई हैं।
इस तरह है योजना
डॉ. एपीजे. अब्दुल कलाम शैक्षणिक कर्ज योजना के तहत अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं को देश में पढ़ाई के लिए २० लाख रुपए और विदेशों में पढ़ाई के लिए दो से लेकर ३० लाख रुपए तक कर्ज मुहैया कराया जाता है। इस योजना के तहत छात्रों को कर्ज १० फीसदी ब्याज दर पर दिया जाता है, जबकि छात्राओं को सात फीसदी और सरकारी दर पांच फीसदी सुनिश्चित की जा रही है। इसके साथ ही परिवार की वार्षिक आय की सीमा शहरी क्षेत्रों में कम से कम १.५० लाख होना चाहिए। योजना के अंतर्गत पात्र छात्रों के पालकों की अधिकतम वार्षिक आय आठ लाख रुपए तक हो सकती है।

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