सामना संवाददाता / मुंबई
विलेपार्ले में ९० साल पुराने दिगंबर जैन मंदिर को तोड़े जाने के विवाद ने तूल पकड़ लिया है। इस मंदिर को तोड़े जाने के विरोध में जैन समाज का सैलाब सड़क पर उतर गया। शनिवार को विलेपार्ले में निकले जैन समाज के मुनियों के नेतृत्व में मौन मोर्चा में लगभग १० हजार लोग शामिल हुए। कांग्रेस ने इस आंदोलन का समर्थन किया।
बता दें कि १६ अप्रैल को मनपा ने इस मंदिर को अवैध निर्माण बताते हुए ढहा दिया था। मनपा की कार्रवाई से जैन समुदाय में भारी आक्रोश है। इसका विरोध करते हुए शनिवार को विश्व हिंदू परिषद और जैन समाज के हजारों लोगों ने सुबह में मौन मोर्चा निकाला। जैन समाज ने आरोप लगाया है कि मनपा के अधिकारियों ने एक होटल मालिक के साथ मिलीभगत कर अवैध रूप से उनके मंदिर को ढहा दिया। विलेपार्ले में दिगंबर जैन मंदिर तोड़े जाने से नाराज जैन समुदाय के धर्मगुरुओं ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से शिकायत की है और कार्रवाई के लिए जिम्मेदार वॉर्ड अधिकारी नवनाथ घाडगे को तुरंत निलंबित करने की मांग की। तोड़क कार्रवाई के विरोध मेंं विलेपार्ले स्टेशन से मनपा के-पूर्व वॉर्ड तक मौन मोर्चा निकाला गया।
कांग्रेस सांसद व मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ ने कहा कि भाजपा सरकार में मंदिर भी सुरक्षित नहीं हैं। अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर यह सीधा-सीधा हमला है और देश की धर्मनिरपेक्षता पर प्रहार है। मेरी मांग है कि जैन समुदाय की इच्छानुसार उनका मंदिर उसी जगह पर सम्मानपूर्वक तरीके से वापस बनवाना चाहिए। समाजसेवक किशोर खाबिया जैन ने कहा कि यह मंदिर सिर्फ एक शिला नहीं, जैन समाज की संस्कृति का प्रतीक है। क्या महायुति सरकार के राज में जैन समाज को अपने धार्मिक स्थानों पर अधिकार नहीं है? इस बुलडोजर प्रेमी सरकार का निषेध!
राधाकृष्ण होटल वाले की शिकायत पर टूटा मंदिर
विले पार्ले इलाके में स्थित जैन सोसाइटी के भीतर जैन मंदिर का निर्माण किया गया था। सोसाइटी के बाहर राधाकृष्ण नाम का एक होटल है। आरोप है कि होटल मालिक ने मनपा में शिकायत दर्ज करवाई कि सोसाइटी में अवैध रूप से जैन मंदिर बनाया गया है। इसके बाद मनपा ने मंदिर तोड़ने का आदेश दिया। जैन सोसाइटी ने मुंबई हाई कोर्ट में याचिका दायर की कि उसे १५ अप्रैल तक स्टे मिल गया। उस ऑर्डर को बाहर लगा दी थी। जैन सोसाइटी का आरोप है कि स्टे ऑर्डर की मियाद पूरी होते ही अगले ही दिन सुबह मनपा के अधिकारी बुलडोजर लेकर पहुंचे और मंदिर को तोड़ दिया। सोसाइटी के लोगों ने कहा कि वह १६ अप्रैल को मुंबई हाई कोर्ट में स्टे ऑर्डर का समय बढ़ाने के लिए याचिका दायर करने वाले थे, लेकिन पहले ही मनपा अधिकारियों ने मिलीभगत कर इस कार्रवाई को अंजाम दिया।