अधिकारियों को बनाया बेचारा, पुलिस थानों को बनाया नकारा
फिरोज खान / मुंबई
फडणवीस सरकार के गृह मंत्रालय की बड़ी लापरवाही के चलते पुलिस विभाग की हालत बद से बदतर होती जा रही है। आलम यह है कि पुलिस महकमा कबाड़खाना बन गया है। बेतरतीब व्यवस्था के चलते कई तेज-तर्राज और तजुर्वेकार अफसर नाकाम होकर बैठे हैं। कुछ पुलिस स्टेशन तो बेचारी की हालत में चल रहे हैं, क्योंकि यह अतिसंवेदनशील होने के बावजूद वरिष्ठ अधिकारियों के बिना सूने पड़े हैं। साइबर क्राइम की बात करें तो शहर में साइबर ठगी की घटनाएं जोरों पर हो रही हैं। बावजूद अब तक साइबर क्राइम विभाग में किसी आला अफसर की स्थाई रूप से पोस्टिंग नहीं हुई है। कुल मिलाकर खराब व्यवस्था के चलते काबिल पुलिस अधिकारी नाकाम नजर आ रहे हैं, वहीं अपराधी इसका फायदा उठाकर बेखौफ अपराध को अंजाम दे रहे हैं। रेप, मर्डर, डवैâती किडनैपिंग जैसी घटनाएं आम हो गई हैं। मुंबई शहर में कम से कम १० पुलिस स्टेशन, दो एसीपी कार्यालय और साइबर अपराध इकाई कई महीनों से बिना स्थाई प्रमुख के काम कर रहे हैं।
यहां फिलहाल ऐसे जूनियर पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है, जिन्हें कानून व्यवस्था संभालने का अनुभव कम है। ताज्जुब की बात तो यह है कि २० वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हैं, जिन्हें संगीन अपराधों को सुलझाने का २० साल से ज्यादा का तर्जुबा हैं, ऐसे अफसरों को पुलिस कंट्रोल रूम में ड्यूटी दी गई है। सूत्र बताते हैं कि नवंबर २०२४ में १११ पुलिस अधिकारियों को शहर से बाहर ट्रांसफर कर दिया गया था। उनमें से ५६ अधिकारियों को जनवरी २०२५ में मुंबई वापस लाया गया। इनमें से ४४ अधिकारियों को हाईप्रोफाइल पुलिस स्टेशनों, आर्थिक अपराध और ट्रैफिक विभाग में तैनात कर दिया, लेकिन बचे १२ अधिकारी अभी भी नियंत्रण कक्ष से जुड़े हैं। बता दें कि नियत्रंण कक्ष में ड्यूटी लगाने का अर्थ होता है पनिशमेंट। अक्सर दंड के रूप में अधिकारियों को कंट्रोल रूम में ड्यूटी लगा दी जाती है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि वरिष्ठ अधिकारियों को महीनों तक पद नहीं दिए जाते हैं, यह बेहद अपमानजनक हैं, जबकि शहर में कई पुलिस स्टेशन और डिवीजन खाली पड़े हैं। इस तरह की खराब व्यवस्था के चलते मुंबई में क्राइम ग्राफ काफी बढ़ गया है। २०२३ की तुलना में २०२४ में १५ प्रतिशत अपराध बढ़े हैं। २०२३ में ४५,८६७ अपराध के केस दर्ज हुए थे, वहीं २०२४ में बढ़कर ५२,७१८ हुए। महिलाओं के साथ मॉलेस्टेशन के मामले भी ११ प्रतिशत बढ़ गए हैं, वहीं बलात्कार जैसे गंभीर अपराध भी ८ प्रतिशत बढ गए हैं। साइबर ठगी खुलेआम हो रही है, लोगों को करोड़ों रुपए का चूना लगाया जा रहा है। बावजूद इसके सायबर विभाग मानो लावारिश पड़ा हुआ है, क्योंकि यहां कई महीनों से अब तक किसी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की नियुक्ति नहीं की गई है। साल २०२४ में मुुंबई में १९५ डिजिटल फ्राॅड हुए थे, जिनमें पीड़ितों के साथ १५० करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी की गई। साल २०२५ में महज ४ महीनों के अंदर अब तक डिजिटल फ्राॅड के ७० केसेस दर्ज हो चुके हैं, इसमें तकरीबन ७६ करोड़ रुपए का लोगों को चूना लग चुका है।