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महायुति में महामतभेद! …फंड बंटवारे को लेकर परभणी भाजपा में असंतोष

पालकमंत्री सावे के दौरे का शिंदे के विधायक ने किया विरोध
सुनील ओसवाल / मुंबई
विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में सरकार गठित हुए भले ही चार महीने बीत गए हों, लेकिन महायुति में शामिल तीनों दलों के बीच असंतोष थमने का नाम नहीं ले रहा है। खासकर, महायुति में शामिल भाजपा, एकनाथ शिंदे गुट और अजीत पवार गुट के बीच मतभेद गहराते जा रहे हैं। यह बात भी सामने आई है कि इन तीनों दलों के बीच घमासान मचा हुआ है।
परभणी जिले में निधि वितरण को लेकर भाजपा के पालकमंत्री अतुल सावे और राज्यमंत्री मेघना बोर्डिकर के बीच नाराजगी सामने आई है। दूसरी ओर शिंदे गुट के विधायक बाबूराव कदम ने पालकमंत्री सावे के दौरे का विरोध किया है।
पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम को देखते हुए अब महायुति के भीतर की कलह उजागर होने लगी है। भाजपा, शिंदे गुट और अजीत पवार गुट के बीच मतभेद बढ़ रहे हैं। खासकर निधि और अधिकारों के वितरण को लेकर। मुख्यमंत्री फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार को बने चार महीने हो चुके हैं और इन चार महीनों में कई घटनाक्रम हुए हैं। राज्य में महायुति को भारी बहुमत मिलने के बाद भी सरकार बनाने में समय लगा, क्योंकि मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद सुलझ नहीं पाया था। मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा और शिंदे गुट के बीच रस्साकशी देखी गई। हालांकि, उसके बाद पोर्टफोलियो आवंटन, पालकमंत्री पद और बंगला आवंटन सहित सभी मामलों पर बातचीत हुई।
अब यह बात सामने आई है कि पिछले कुछ दिनों से फंड बंटवारे के मुद्दे पर महायुति में शामिल तीनों दलों के बीच दरार पैदा हो गई है। यही कारण है कि शिंदे गुट के विधायक आक्रामक हो रहे हैं। बजट के बाद यह बात सामने आ रही है कि फंड के बंटवारे को लेकर भाजपा, शिंदे गुट और अजीत पवार गुट तीनों के बीच मतभेद हैं। पिछले कुछ दिनों से फंड के वितरण को लेकर महायुति के भीतर मतभेद चल रहा है। कई भाजपा विधायकों, विशेषकर सत्तारूढ़ पार्टी के विधायकों ने आरोप लगाया है कि उनके निर्वाचन क्षेत्रों की उपेक्षा की जा रही है तथा अन्य घटक दलों के विधायकों को फंड वितरण में प्राथमिकता दी जा रही है। इससे भाजपा के कुछ विधायकों में नाराजगी है। अजीत गुट के विधायकों को उनकी पात्रता से अधिक धनराशि दी जा रही है।

 

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