एक खूबसूरत पल

बोल रहें हैं हम, हमें सुन लो अभी
जी रहे हैं हम, हमें पूछ लो अभी
दर्द का एहसास है, सहला लो अभी
हर वो चीज जो तुमको है प्यारी
कब तक रहेगी होके तुम्हारी?
हम नजर न आएंगे तुम्हे, हमें ढूंढ़ोगे सभी।
वक्त वफादार है, उम्र शुक्रगुजार है
न रुकने की कसम खाई थी इन्होंने कभी…
ये कसम निभाएंगे, समय पे ले जाएंगे
इस पल है यहां…उस पल कहीं नहीं… कहीं नहीं, आलोप!
आज हैं उमड़ते अरमान, उभरते जज़्बात और ‘मचलती ख्वाहिशें’
डरती हूं, कहीं हो न जाएं ये हकीकत, बेअसर, बेसुध, बेगानी।
जो सत्कार में ‘फूल’ तुम तब बरसाओगे
आज ही कुछ तो बरसा लो…
अभी, इसी पल… हां, इसी पल… अभी
शायद वो मुझ में फिर से,जान फूंक दे
हताश जिंदगी को हर्षित जिंदगी से जोड़ दें
एक खूबसूरत पल यू जुड़ जाए यूं ही, मेरा पल पल संवर जाए,
सच्ची जिंदगी से मुलाकात हो जाए
चाहे ‘एक पल’ भरपूर जी लूं यूं ही।
हां ज्यादा नहीं तो एक खूबसूरत पल ही सही।
-नैंसी कौर, नई दिल्ली

अन्य समाचार