सामना संवाददाता / मुंबई
चुनाव आयोग का कहना है कि विधानसभा चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी होना चाहिए और मतदान प्रतिशत बढ़ना चाहिए, लेकिन चुनाव आयोग के काम में ही पारदर्शिता और निष्पक्षता नहीं है। अधिकारी सत्ता पक्ष के दबाव में काम कर रहे हैं। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नाना पटोले ने दावा किया है कि ऑनलाइन फॉर्म ७ के माध्यम से महाविकास आघाडी के मतदाताओं के नाम बड़ी संख्या में मतदाता सूची से गायब किए जा रहे हैं। यह काम मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इशारे पर किया जा रहा है। पटोले ने कहा कि महायुति के नेताओं को इस तरह पर्दे के पीछे से नहीं, बल्कि हिम्मत है तो सामने से आकर ईमानदारी की लड़ाई लड़ो। कल शिवालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए नाना पटोले ने आगे कहा कि भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दल हार के डर से इस तरह की साजिश कर रहे हैं।
मोदी-शाह के इशारे पर काम कर रहा है चुनाव आयोग
चुनाव आयोग मोदी-शाह के इशारे पर काम कर रहा है। यह लोकतंत्र के लिए अभिशाप है। सरकार को आयोग के काम में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। सरकारी योजनाओं की जानकारी देने के नाम पर प्रदेश में ५० हजार रुपए के मेहनताने पर ५० हजार योजना दूत नियुक्त किए गए हैं और ये योजना दूत भाजपा की विचारधारा और पार्टी का चुनाव प्रचार कर रहे हैं। जनता के पैसे से शुरू किए गए भाजपा के इस अभियान को तत्काल बंद किया जाना चाहिए ।
`दस हजार वोटरों की संख्या कम करने की साजिश’
विपक्षी नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि लोकसभा चुनाव में जिस निर्वाचन क्षेत्र में मविआ को सबसे ज्यादा वोट मिले, वहां १० हजार वोटरों की संख्या को कम करने की साजिश की जा रही है। फॉर्म-७ का दुरुपयोग किया जा रहा है। बीजेपी गठबंधन विधानसभा चुनाव नहीं जीत सकता इसलिए इस तरह की साजिश रची जा रही है। ऐसे में चुनाव आयोग फॉर्म-७ लेना बंद करे और यह सुनिश्चित करे कि इस तरह की हरकत दोबारा न हो। वोटर आईडी कार्ड में भी कई गड़बड़ियां हैं। वडेट्टीवार ने मतदाताओं से यह सुनिश्चित करने की भी अपील की है कि उनका नाम मतदाता सूची में दर्ज है।
`जो मतदाता जीवित हैं, उन्हें दिखाया जा रहा है मृत’
राष्ट्रवादी कांग्रेस के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि फॉर्म नंबर ७ को ऑनलाइन भरने का तरीका गलत है। इसके जरिए हर विधानसभा क्षेत्र से ५००० वोटों की हेराफेरी की जा रही है। जो मतदाता जीवित हैं, उन्हें मृत दिखाया जा रहा है। जिस तरह से चुनाव कराया जा रहा है वह मौलिक रूप से संदिग्ध है। एक ही घर के पांच लोगों के नाम अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में दर्शाए गए हैं। मतदाता सूची की छपाई बहुत खराब है, जिसमें कई त्रुटियां हैं। आव्हाड ने कहा कि एक तरफ बीजेपी सरकार डिजिटल इंडिया का नारा बुलंद कर रही है, दूसरी ओर एक साधारण मतदाता सूची भी साफ-सुथरे ढंग से नहीं छापी जा सकती। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद महाविकास अघाडी के प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी एस. चोकलिंगम से मुलाकात की और मांगों का एक विवरण प्रस्तुत किया।