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महाराष्ट्र में भी कोई लो-प्रोफाइल बनेगा सीएम! …फडणवीस के अरमानों पर फिरेगा पानी

रामदिनेश यादव / मुंबई
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति ने जीत तो हासिल कर ली है, लेकिन सरकार गठन को लेकर महायुति के नेताओं के पसीने छूट रहे हैं। २३ तारीख को जारी हुए नतीजों के बाद से अब तक महायुति में सीएम चेहरे का निर्णय नहीं हो पाया। प्रदेश में दोबारा सीएम बनने की चाह रखनेवाले एकनाथ शिंदे तो किसी दबाव के चलते पीछे हो गए हैं, दूसरे पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के नेता देवेंद्र फडणवीस के नाम की अब तक घोषणा नहीं होने से लोगों के मन में शंका बढ़ती जा रही है कि भाजपा फडणवीस को विधानसभा चुनाव में उनकी मेहनत का फल देगी या राजस्थान और मध्य प्रदेश का पैटर्न अपनाएगी और यहां न तो शिंदे और न ही देवेंद्र फडणवीस, बल्कि किसी तीसरे को सीएम बनाएगी। संभवत: भाजपा महाराष्ट्र में किसी नए चेहरे को सीएम बनाना चाहती है।
सूत्रों की मानें तो प्रदेश में गठित होनेवाली महायुति सरकार में सीएम पद पर भाजपा बहुत ही विचार-विमर्श के साथ चयन करेगी। शिंदे की खराब छवि के चलते उन्हें पहले ही मना कर दिया गया है। अपनी लाज बचाने के लिए शिंदे ने खुद ही अपने आप को सीएम पद की रेस से अलग कर लिया है। अब बचे फडणवीस, चूंकि फडणवीस ब्राह्मण समाज से हैं, राज्य का मराठा समाज उन्हें पहले ही पसंद नहीं कर रहा है। मराठा नेता मनोज जरांगे पाटील ने पहले ही चेतावनी दे दी है कि यदि फडणवीस सीएम बने तो फिर आंदोलन होगा। इन्हें बनाने से ओबीसी और मराठा समाज में तनाव बढ़ जाएगा, जो राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ और भाजपा दोनों को रास नहीं आएगा, ऐसे में भाजपा फडणवीस के नाम पर भी एकमत नहीं हो पा रही है। साथ ही फडणवीस को भाजपा केंद्रीय टीम में बड़ा पद देना चाहती है इसलिए भाजपा प्रदेश में लो-प्रोफाइल के विधायक को सीएम बना सकती है। इस रेस में अब मराठा नेता विनोद तावड़े का नाम भी आगे आया है, पिछड़े समाज से आनेवाले सुधीर मुनगंटीवार, आरएसएस में मजबूत पकड़ रखनेवाले और अमित शाह के करीबी चंद्रकांत पाटील, इसके अलावा संघ के करीबी कई नेता हैं, जिन्हें मध्य प्रदेश और राजस्थान पैटर्न पर मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। दरअसल, भाजपा राज्य में भविष्य को देखते हुए जातीय समीकरण साधने का प्रयास कर रही है। इस बार किसी तरह बहुमत तो मिल गया है, लेकिन जो गंध भाजपा ने मचाई है यदि जातीय समीकरण सही नहीं बैठा तो सरकार की नाक में मराठा और ओबीसी समाज दम कर देंगे।
उल्लेखनीय है कि पिछले एक सप्ताह से भाजपा में मुख्यमंत्री नियुक्त करने का अभियान जारी है। इसके लिए भाजपा में बैठकों का दौर भी जारी है। कभी महाराष्ट्र, तो कभी दिल्ली में बैठकें हो रही हैं। कल सुबह केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े, तो शाम को अजीत पवार के साथ बैठक की, लेकिन सीएम किसे बनाया जाएगा? इस पर कोई निर्णय बाहर नहीं आया। भाजपा नेताओं के बीच अब प्रदेश में मुख्यमंत्री के लिए सही चेहरे की तलाश करना बड़ी समस्या बन गया है। सीएम के पद पर किसे चुना जाए, भाजपा की कोर कमिटी की बैठक के बाद भी मामला उलझा है।

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