-धर्मार्थ अस्पतालों के लिए तैयार होगी आनलाइन प्रणाली
-गरीब और कमजोर वर्ग के मरीजों को मिलेगी सटीक जानकारी
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
धर्मार्थ अस्पतालों में २० प्रतिशत बेड गरीब मरीजों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षित करना अनिवार्य है। इसके बावजूद मुंबई समेत महाराष्ट्र के कई जिलों में इसका पालन करने की बजाय धर्मार्थ अस्पताल प्रबंधन अवहेलना करता है। इन अस्पतालों में गरीब मरीजों को बेड और रियायती इलाज मुहैया कराने में प्रबंधन की ओर से आनाकानी की जाने की शिकायतें मिल रही थीं। इसके बाद इस मुद्दे को लेकर जब विपक्ष ने घेरना शुरू किया, तब जाकर ईडी सरकार पटरी पर आई है और धर्मार्थ अस्पतालों के लिए ऑनलाइन प्रणाली तैयार करने की घोषणा करते हुए शासनादेश जारी कर दिया है। इस प्रणाली के शुरू होने के बाद गरीब और कमजोर वर्ग के मरीजों को पारदर्शी और सटीक जानकारी आसानी से मिल सकेगी। इस योजना पर ईडी सरकार ४.३८ करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र पब्लिक ट्रस्ट एक्ट, १९५० के तहत धर्मार्थ अस्पतालों को बहुत सारी सुविधाएं, अनुदान और रियायतें दी जाती हैं। इनमें भूमि, बिजली, पानी, भवन निर्माण में रियायतें, आयात-निर्यात शुल्क माफी, आयकर रियायत आदि का समावेश होता है। इसके बदले में प्रबंधनों को अस्पताल की कुल क्षमता का २० प्रतिशत हिस्सा गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मरीजों को मुफ्त या रियायती इलाज मुहैया करना अनिवार्य है, लेकिन महाराष्ट्र के कई जिलों में ये सेवाएं देने में धर्मार्थ अस्पताल आनाकानी करते हैं। अकेले मुंबई में करीब ८० ऐसे धर्मार्थ अस्पताल हैं, जहां गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के मरीजों को यह सेवा देने में अनिच्छुक दिखाई दे रहे हैं। आरोप है कि इलाज से बचने के लिए ये अस्पताल अनावश्यक दस्तावेज मांगकर भर्ती प्रक्रिया को जटिल से जटिल बना देते हैं।
विपक्ष ने दो दिन पहले ही उठाया था मुद्दा
मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष व विधायक वर्षा गायकवाड़ ने दो दिन पहले ही आरोप लगाया था कि ये अस्पताल गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मरीजों को बेड न होने का झूठा बहाना बनाकर इलाज करने से कतराते हैं। वर्षा गायकवाड़ ने कहा था कि इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्री के साथ ही शहर व उपनगर जिलाधिकारियों और चैरिटी आयुक्त को दिए एक ज्ञापन दिया गया है, जिसमें मांग की गई है कि ऐसे अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी भी दी थी कि यदि सरकार इस मामले में ठोस रुख नहीं अपनाती है तो इन गरीबों का इलाज करने से इनकार करनेवाले अस्पतालों के सामने मुंबई कांग्रेस आंदोलन करेगी।
घबराई सरकार
विपक्ष के कड़े रुख को देखते हुए ईडी सरकार घबरा गई और दो दिन बाद ही लंबे समय से धूल फांक रहे ऑनलाइन प्रणाली को विकसित करने के प्रस्ताव पर मुहर लगाते हुए शासनादेश जारी कर दिया। प्रणाली के तैयार होने के बाद धर्मार्थ अस्पतालों में गरीबों और कमजोर वर्ग के मरीजों को न केवल आसानी से बेड मिल सकेंगे, बल्कि उनका सही तरीके से इलाज भी किया जा सकेगा।