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यूपी में मिली करारी हार के बाद शुरू हुई भाजपा में जूतमपैजार!

मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ

लोकसभा चुनाव बीत गया। यूपी मिली करारी हार के बाद यूपी भाजपा में जूतमपैजार शुरू हो गया है। जो हारे वो चीख-चीखकर कह रहे हैं, मेरी पीठ में अपनों ने खंजर घोंपा। इस आरोप-प्रत्यारोप में कम अंतर से जीते वह सांसद भी पीछे नहीं हैं, उन्होंने भी आस्तीन के सांपों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। लोकसभा चुनाव में यूपी में मिली बड़ी हार पर भाजपा में रार छिंण गयी है।पराजित प्रत्याशियों ने अपनी हार की रिपोर्ट पार्टी हाईकमान को भेजी है। बता दें कि लोकसभा चुनाव में इस बार भाजपा को आश्चर्यजनक तौर से करीब-करीब आधी सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है। सात केंद्रीय मंत्रियों तक को हार का सामना करना पड़ा है।
अब तक की पड़ताल में यही सामने आया है कि टिकट वितरण की खामियों की वजह से ही भाजपा की ऐसी गति हुई। तमाम ऐसे सांसद हैं, जिनके खिलाफ माहौल को देखते हुए स्थानीय कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने उनको टिकट नहीं देने की गुजारिश की थी, लेकिन टिकट बांटने वालों द्वारा उनकी बातों को नजरअंदाज कर प्रत्याशी थोप दिए गए। लिहाजा, नाराज पार्टी कार्यकर्ता भी घर बैठ गए, जिसका परिणाम सामने है। टिकट बंटवारे को लेकर ही कई सीटों पर भितरघात की आग सुलगने लगी थी, लेकिन प्रदेश संगठन इसे दबाता रहा। यह बात ऊपर पहुंचाने के बजाय भितरघात की बात को नकारा जाता रहा। लिहाजा, इसका ‘साइड इफेक्ट’ अब सामने आ रहा है। पार्टी का प्रदेश संगठन अंदर ही अंदर उबल रहा है।उन्नाव से लगातार तीसरी बार जीत दर्ज करने वाले साक्षी महाराज ने इस बार जीत का अंतर कम होने के पीछे भितरघात को जिम्मेदार बताया है। उन्होंने कहा कि पार्टी के अंदर काम करने वाले कुछ ‘गद्दारों’ और ‘आस्तीन के सांपों’ की वजह से वोट कम हुए।
केंद्रीय मंत्री रहीं साध्वी निरंजन ज्योति फतेहपुर में उनकी हार का कारण पार्टी के भितरघात को ठहराया है। मिर्जापुर लोकसभा सीट से तीसरी बार जीत हासिल करने के बाद सहयोगी पार्टी अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल के करीबी लोगों का भी कहना है कि भाजपा के कार्यकर्ता अंदर ही अंदर सीट हराने की कोशिश करते रहे। मोहनलालगंज सीट पर पराजित केंद्रीय राज्यमंत्री रहे कौशल किशोर भी पार्टी कार्यकर्ताओं पर उनके खिलाफ काम करने का आरोप लगाया है। भाजपा के रामपुर से उम्मीदवार रहे घनश्याम सिंह लोधी ने अपनी हार के लिए मुख्य रूप से धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने पार्टी के कुछ नेताओं पर सहयोग नहीं करने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, ‘पार्टी संगठन को उनके बारे में सूचित कर दिया गया है। पार्टी ही नहीं, मैं भी हार की समीक्षा कर रहा हूं।’
श्रावस्ती सीट पर भी स्थानीय पार्टी नेताओं ने एक पूर्व सांसद और प्रभावशाली भाजपा नेता पर ‘भितरघात’ का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने ब्राह्मणों और कुर्मियों सहित पार्टी के कोर वोटर से पार्टी के खिलाफ वोट कराया। इससे साकेत मिश्रा को हार का सामना करना पड़ा। लालगंज सीट से हारने वाली भाजपा उम्मीदवार नीलम सोनकर ने भी अपनी हार के लिए स्थानीय पार्टी पदाधिकारियों के भितरघात को जिम्मेदार ठहराया है। गाजियाबाद की लोनी से बीजेपी विधायक नंद किशोर गुर्जर ने आरोप लगाया है कि पार्टी भितरघात की वजह से वे हारे हैं। उनका कहना है कि कुछ लोगों ने भितरघात किया है। रणनीति के तहत बीजेपी को हराया गया है। मेरठ से जीतने वाले अरुण गोविल तो चुनाव बाद ही इशारों में अपने खिलाफ साजिश की बात कह चुके थे। मुजफ्फरनगर सीट पर प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान और भाजपा विधायक संगीत सोम के बीच जंग जगजाहिर है।
बांदा, बस्ती, बाराबंकी, सुल्तानपुर, इलाहाबाद, कौशांबी, बदायूं और सीतापुर, खीरी, मुजफ्फरनगर और फतेहपुर, जौनपुर, मछलीशहर, भदोही, फिरोजाबाद, मैनपुरी, लालगंज, सीतापुर, चंदौली, फैजाबाद समेत करीब 36 सांसदों का टिकट काटने की संस्तुति राज्य स्तर से की गई थी, पर हाईकमान ने उसमें से 24 लोगों को दोबारा टिकट दे दिया, जो यूपी में भाजपा का संख्याबल घटाने में बड़ा कारण साबित हुआ। इन्हीं सीटों पर भी जम कर गद्दारी के आरोप गूंज रही है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर किसके कहने पर राज्य स्तर की संस्तुति को दरकिनार कर टिकटों का वितरण किया गया। किस एजेंसी के सर्वे को ढाल बनाकर जनता की नापसंद वाले सांसदों को टिकट दिया गया?

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