सामना संवाददाता / मुंबई
गुजरते वक्त के साथ हर क्षेत्र में कई तरह की तकनीक विकसित हो रही है इसमें स्वास्थ्य जगत भी पीछे नहीं है। इस क्षेत्र में कई जानलेवा बीमारियों को मात देने के लिए अत्याधुनिक मशीनें और तरीके ईजाद हो रहे हैं। इसी क्रम में वैंâसर पर अचूक इलाज करने के लिए पहली बार पुणे में एआई आधारित सिंक्रोनी ऑटोमेटिक, रियल टाइम मोशन सिंक्रोनाइजेशन तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। एआई आधारित रेडिएशन इलाज पद्धति अपनाते हुए दो मरीजों को कैंसर से मुक्ति दिलाई गई है।
उल्लेखनीय है कि यह इलाज पुणे के टीजीएच ओन्को लाइफ वैंâसर सेंटर में किया गया है। इनमें फेफड़े के वैंâसर से पीड़ित मरीज की उम्र ७० साल और प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित मरीज की उम्र ६२ साल थी। चिकित्सकों के मुताबिक, तलेगांव का मरीज सांस की समस्या से पीड़ित था। उसकी जब जांच की गई तब पता चला कि उसके बाएं फेफड़े में कैंसर का ट्यूमर है। दूसरे मामले में सोलापुर के एक ६२ वर्षीय व्यक्ति को पिछले एक महीने से मूत्र पथ की समस्या थी। एक विशेषज्ञ द्वारा जांच के बाद रोगी को प्रोस्टेट कैंसर का पता चला।
इस तरह करता है काम
इस एआई तकनीक में एक तरफ एक्स-रे पैनल और दूसरी तरफ एक डिटेक्टर है। सिंक्रोनस रेस्पिरेटरी कैमरे की मदद से कैंसर की लोकेशन का सटीक पता लगाया जाता है। इसके परिणामस्वरूप रेडिएशन उपचार के दौरान आस-पास की स्वस्थ कोशिकाओं को बहुत कम क्षति होती है। चिकित्सकों ने बताया कि इन रोगियों पर किसी तरह का कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं दिखाई दिया।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सिंक्रोनाइजेशन ऑटोमेटिक, रियल टाइम मोशन सिंक्रोनाइजेशन तकनीक वाली आधुनिक प्रणाली इलाज के लिए एक सटीक और सुरक्षित विकल्प साबित हो रही है। इस पद्धति के माध्यम से फेफड़े, लीवर, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और प्रोस्टेट कैंसर जैसे विभिन्न कैंसर का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है।
डॉ. अभिषेक पुरकायस्थ