डीप फेक विडीयो से बचने की सलाह
सामना संवाददाता / मुंबई
एआई एक तरफ जहां लोगों के लिए वरदान साबित हुआ है, वहीं साइबर ठगों ने भी इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। यह बैंकिंग सिस्टम में भी घुसपैठ करने लगा है और यही वजह है कि इन्वेस्टमेंट पर एआई फिशिंग का खतरा बढ़ता जा रहा है। २०२५ यह खतरा और बढ़ेगा। ऐसे में जानकार यही कह रहे हैं कि एआई, एक दिन डुबो देगा भाई।
बता दें कि पिछले महीने आरबीआई की सांस उस वक्त थम सी गई थी, जब उसके गवर्नर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर छा गया था। उस वीडियो में पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास निवेश की सलाह दे रहे थे। आरबीआई को तुरंत अपना बयान जारी करना पड़ा कि गवर्नर का वीडियो फर्जी है।
गवर्नर का फेक विडीयो
आरबीआई ने कहा कि उसके संज्ञान में आया है कि गवर्नर (शक्तिकांत दास) के फर्जी वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित किए जा रहे हैं, जो आरबीआई की ओर से कुछ निवेश योजनाओं को लॉन्च करने या उनका समर्थन करने का दावा करते हैं।
डीप फेक विडीयो से सावधान
वित्तीय निवेश की सलाह आरबीआई नहीं देता!
एआई का इस्तेमाल बैंकिंग सेवाओं को आसान बनाने के लिए बढ़ रहा है, उससे भी तेज गति से साइबर क्राइम सिंडिकेट्स इसका इस्तेमाल नागरिकों के एकाउंट को खाली करने के लिए कर रहे हैं।
हाल ही में आरबीआई के गवर्नर का एक वीडियो आया था, जिसमें वे वित्तीय निवेश की सलाह दे रहे थे। इस वीडियो को देखने के बाद आरबीआई की नींद टूटी। तब आरबीआई ने बयान देकर स्पष्ट किया कि ये वीडियो फर्जी है। आरबीआई को कहना पड़ा कि वह ऐसी कोई वित्तीय निवेश की सलाह नहीं देता है इसलिए आरबीआई की ओर से लोगों को सोशल मीडिया पर प्रसारित ऐसे फर्जी वीडियो से जुड़ने और उनका शिकार होने से बचना चाहिए।
बता दें कि इस साल की शुरुआत में एनएसई ने इसी तरह की सलाह जारी की थी, जिसमें निवेशकों को शेयरों की सिफारिश करने वाले अपने एमडी और सीईओ आशीष कुमार चौहान के एआई की मदद से बनाए गए फर्जी वीडियो के झांसे में न आने की चेतावनी दी गई थी। सोशल मीडिया के इस जमाने में इस तरह के साइबर क्राइम व साइबर प्रâॉड के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। जैसे-जैसे एआई का इस्तेमाल बैंकिंग सेवाओं को आसान बनाने के लिए बढ़ता जा रहा है, उससे भी तेज गति से साइबर क्राइम सिंडिकेट्स द्वारा इसका इस्तेमाल नागरिकों के एकाउंट को खाली करने के लिए किया जा रहा है। साइबर प्रâॉड के बढ़ते अपराध को देखते हुए भारत के बैंकिंग रेगुलेटर ने वित्तीय क्षेत्र में एआई को अपनाने से पैदा होने वाले जोखिमों से आगाह करने के लिए कई महत्वपूर्ण बातों पर रोशनी डाली है। जिसमें साइबर जोखिम, बाजार की गति, प्रणालीगत अस्पष्टता और बाजार संकेंद्रण शामिल हैं।
इस तरह के प्रâॉड से निपटने और बचने के लिए नियामक ने जिम्मेदारीपूर्वक एआई अपनाने के लिए एक रूपरेखा विकसित करने हेतु एक पैनल का गठन किया है। रेगुलेटरी बॉडी का मानना है कि इन उभरते जोखिमों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए नियामक निकायों को अपने कौशल और ढांचे को अद्यतन करने की आवश्यकता है। फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट के अपने नवीनतम संस्करण के भाग के रूप में आरबीआई ने इस बात पर भी प्रकाश डाला है कि जेनरेटेड एआई साइबर जोखिम को बढ़ा सकता है, जिसके चलते संभावित रूप से धोखेबाजों को डीपफेक का उपयोग करके परिष्कृत फिशिंग हमले शुरू करने में मदद मिल सकती है।