ब्रिजेश पाठक / मुंबई
वायु प्रदूषण के मामले में मुंबई दिल्ली को जबरदस्त टक्कर दे रही है। शहर में शनिवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स २०० के पार चला गया। मनपा भले ही दावे कर रही है कि वायु प्रदूषण को कम करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है। जाहिर सी बात है कि बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते मुंबईकरों का सांस लेना दूभर हो गया है।
केंद्रीय वायु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, शनिवार को शहर में एयर क्वालिटी इंडेक्स ( वायु गुणवत्ता दर) १६२ दर्ज किया गया, जो खराब स्थिति को दर्शाता है। इसके अलावा कांदिवली व मालाड में यह इंडेक्स २७० के पार चला गया। वहीं देवनार, शिवाजी नगर और मझगांव इलाके का इंडेक्स २०० पार रहा। यह दर्शाता है कि शहर में वायु की गुणवत्ता खराब हालत में है। शहर के कोलाबा और बोरीवली इलाके में केवल यह इंडेक्स १०० से कम रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, वायु प्रदूषण बढ़ने के कई कारण हैं, जिसमें से प्राकृतिक व अधिकतर मानव निर्मित कारण शामिल हैं। इस प्रदूषण में २.५ एमएम के कणिका तत्व पाए जाते हैं, जो आसानी से इंसान के खून में घुल-मिल सकते है। इस कारण अस्थमा सहित कई बीमारियां होने की संभावना है।
मनपा का बेतुका दावा
मनपा ने हाल ही में बजट पेश कर वायु प्रदूषण कम करने के लिए ११३ करोड़ रुपए आवंटित किया है। बजट में मनपा द्वारा वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कई स्तरों पर काम करने की बात कही गई, लेकिन असल हकीकत कुछ और दर्शा रही है। शहर में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए मनपा का यह दावा बेतुका साबित हो रहा है।
मनपा का बजट ७४ हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है, मुंबई में कई करोड़ लोग रहते हैं। इसके बावजूद इस बजट में पर्यावरण को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई, सिर्फ ११३ करोड़ रुपए पर्यावरण के लिए आवंटित किए गए हैं। वैसे दिल्ली के बाद मुंबई सबसे वायु प्रदूषण के मामले में दूसरे नंबर पर आता है। गोवंदी और मानखुर्द जैसे इलाकों में सबसे ज्यादा प्रदूषण है। इस प्रदूषण के लिए बजट ज्यादा होना चाहिए। साथ ही बजट का पूरी ईमानदारी के साथ उपयोग किया जाना चाहिए, तभी मुंबई को रहने लायक बनाया जा सकता है।
-शकील अहमद शेख (आरटीआई एक्टिविस्ट)