सामना संवाददाता / मुंबई
दूसरी बार सत्ता में आने वाली महायुति सरकार के मंत्रियों में घमंड कूट-कूटकर भरा है। मंत्रियों ने जनता की अवहेलना और अनादर करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी है। एक ऐसा ही मामला उपमुख्यमंत्री अजीत पवार का सामने आया है, जिसमें उन्होंने ज्ञापन देने वालों को दो शब्दों में सुनाते हुए झटक दिया है। अजीत पवार ने साफ कहा कि तुम मेरे मालिक नहीं हो। मुझे जो करना है मैं करुंगा, तुम मुझे मत बताओ।
बता दें कि सत्ता के नशे में चूर उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के इन दिनों तेवर बदल चुके हैं। दादा के नाम से मशहूर अजीत पवार एक जनसभा में उस समय अपना आपा खो बैठे जब बड़ी संख्या में लोग उन्हें विभिन्न मांगों के साथ ज्ञापन सौंपने आये थे। गुस्साए अजीत पवार ने लोगों से कहा कि आप लोगों ने मुझे वोट दिया है, इसका मतलब यह नहीं कि मेरे मालिक हो। रविवार को बारामती में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री पवार ने वहां मौजूद लोगों से पूछा कि क्या उन्होंने उन्हें अपना नौकर बना लिया है। गुस्साए अजीत पवार ने कहा कि आपने मुझे वोट दिया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप मेरे मालिक हैं। उनके इस बयान को लेकर निषेध हो रहा है। इस बयान को लेकर अजीत पवार के वैâबिनेट सहयोगी एवं महाराष्ट्र भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने इस बात पर जोर दिया कि लोग सबसे महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे ही नेताओं को सत्ता में लाते हैं। बता दें कि यह पहला मौका नहीं है, जब वक्त के हिसाब से अजीत पवार ने अपने तेवर बदले हैं। इससे पहले वे अपने चाचा और राजनीतिक गुरु शरद पवार से उनकी ही पार्टी और चुनाव चिह्न पर कब्जा कर चुके हैं।
चाचा की पार्टी पर किया कब्जा
अजीत पवार ने एनसीपी के संस्थापक शरद पवार से ही राजनीति का ककहरा सीखा। शरद पवार ने ही अजीत पवार को आगे बढ़ाया और यह तय माना जा रहा था कि शरद पवार के बाद अजीत पवार ही एनसीपी के प्रमुख बनेंगे, लेकिन अजीत पवार ने इसका इंतजार नहीं किया और एनसीपी के अधिकतर विधायकों को साथ मिलाकर बीजेपी को समर्थन दिया। अजीत पवार ने अपने चाचा शरद पवार से उनकी पार्टी भी कब्जिया ली है।