मुख्यपृष्ठनए समाचारहाय रे, ठाणे की स्वास्थ्य व्यवस्था ले ली दो बच्चों की जान!

हाय रे, ठाणे की स्वास्थ्य व्यवस्था ले ली दो बच्चों की जान!

सांप के काटने से हुई एक बच्चे की मौत
दूसरा बच्चा जन्म के बाद ही चल बसा
डॉक्टरों पर लगा लापरवाही का आरोप
समय पर होता इलाज तो बच जाती जान
सामना संवाददाता / ठाणे
ठाणे जिले में एक बार फिर से स्वास्थ्य व्यवस्था की घोर लापरवाही उजागर हुई है। लापरवाही का ऐसा आलम सामने आया कि दो घटनाओं में दो बच्चों की मौत हो गई। इस घटना को लेकर पीड़ित दोनों परिवार के लोगों ने डॉक्टरों पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया और कहा कि अगर समय से इलाज मिलता तो उनके बच्चे की जान बच जाती।
परिवार को यहां से वहां दौड़ाते रहे
बता दें कि घटना मुरबाड तालुका के वैशाखरे प्रधानपाड़ा की है, जहां दो वर्षीय बच्चे को सांप ने काट लिया था। घर वाले बच्चे और सांप को टोकावडे के एक ग्रामीण अस्पताल में ले गए। जब वे वहां पहुंचे तो रात हो चुकी थी और अस्पताल का गेट भी बंद था, जिसे खोलने में करीब १५ से २० मिनट लग गए। इसके बाद डॉक्टर ने सांप को करीब २० मिनट तक देखा। उन्होंने कहा कि सांप जहरीला नहीं है। लेकिन अचानक बच्चे की हालत गंभीर होने लगी, जिसके बाद बच्चे को डॉक्टर ने उल्हासनगर अस्पताल ले जाने की सलाह दी। सड़क की स्थिति खराब होने के कारण परिवार को वहां पहुंचने में काफी समय लग गया। वहां पहुंचने पर डॉक्टरों ने बच्चे को कलवा अस्पताल ले जाने को कहा, इसके बाद परिवार फिर से बच्चे को लेकर कलवा अस्पताल पहुंचा, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। परिवार का आरोप है कि अगर समय पर बच्चे का इलाज किया गया होता तो उसकी जान बच सकती थी।
अस्पताल में नहीं था कोई बालरोग विशेषज्ञ
दूसरी घटना के अनुसार, रेशमा भोईर नाम की महिला को डिलिवरी के लिए मुरबाड ग्रामीण अस्पताल में दाखिल कराया गया था। महिला का प्रसव नार्मल हुआ, लेकिन जन्म के बाद बच्चे की तबीयत बिगड़ गई। मुरबाड अस्पताल में कोई बाल रोग विशेषज्ञ नहीं होने के कारण बच्चे को इलाज के लिए उल्हासनगर स्थानांतरित कर दिया गया, लेकिन समय पर इलाज नहीं मिलने से बच्चे की जान चली गई। जिसके बाद बच्चे के परिवार वालों ने वरिष्ठों से शिकायत की कि स्वास्थ्य व्यवस्था की गैरजिम्मेदारी के कारण ही बच्चे की मौत हुई है। मुरबाड ग्रामीण अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संग्राम डांगे ने कहा कि यदि मुरबाड ग्रामीण अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ उपलब्ध होता तो बच्चे को प्राथमिक उपचार दिया जा सकता था।

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