सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य की विभिन्न लोकप्रिय योजनाओं के कारण सरकारी खजाने पर भारी आर्थिक दबाव पड़ा है इसलिए राज्य के राजस्व को बढ़ाने के लिए प्रदेश के बजट में शराब पर टैक्स बढ़ोतरी की कवायद शुरू हो गई है। सूत्रों के मुताबिक उत्पादन शुल्क की दरें बढ़ाकर राज्य के राजस्व में वृद्धि करने का सरकार का विचार चल रहा है। अब शराबियों को सावधान होकर पीना पड़ेगा, क्योंकि सरकार चखने का पैसा कर के रूप में चट करने की तैयारी में है।
राज्य उत्पादन शुल्क के माध्यम से प्रदेश के राजस्व में वृद्धि करने के उपाय और सुझावों के लिए गृहनिर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव वल्सा नायर सिंह की अध्यक्षता में पांच अधिकारियों की एक समिति गठित कर बैठक हुई। यह समिति राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। उल्लेखनीय है कि राज्य में वर्तमान में विदेशी शराब के लगभग १,७१४ और देशी शराब के लगभग ४,३०० लाइसेंस जारी किए गए हैं। फिलहाल, वर्ष १९७५ के बाद से नए लाइसेंस जारी नहीं किए गए हैं। यदि नए लाइसेंस जारी किए जाते हैं तो राज्य में `शराब की बाढ़’ आ जाएगी। साथ ही इससे आलोचना होने का सरकार को डर है। ऐसे में राज्य उत्पादन शुल्क की दरें बढ़ाने की मानसिकता इस सरकार की है। उपमुख्यमंत्री व अजीत पवार ने कहा है कि राज्य के बजट में कठोर निर्णय लेने होंगे। पिछले वर्ष हाथ ढीले छोड़ दिए गए थे, लेकिन इस बार आर्थिक स्रोतों को बढ़ाना होगा।