केंद्र के इशारे पर नाचनेवाले चुनाव आयोग से कार्रवाई की उम्मीद नहीं
‘मोदी की गारंटी’ वाले होर्डिंग लगाने का निर्णय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अनौपचारिक ‘आदेश’ पर दिया गया है। इनके लगाने पर सार्वजनिक क्षेत्र की र्इंधन कंपनियों को कई सौ करोड़ का फंड खर्च करना होगा। देश में लगभग ८८,००० पेट्रोल पंपों में से ९० फीसदी इन्हीं सरकारी तेल कंपनियों के हैं।
एक तरफ भाजपा अबकी बार ४०० पार का नारा दे रही है, वहीं दूसरी तरफ उसने चुनाव प्रचार के लिए नैतिकता की सारी हदें पार कर दी हैं। अभी लोकसभा चुनाव की घोषणा नहीं हुई है, पर भाजपा का चुनावी प्रचार शुरू हो गया है। पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह रैलियां कर रहे हैं। हजारों करोड़ की सौगातें बांटी जा रही हैं। इसी बीच भाजपा के एक जुगाड़ ने आचार संहिता को अंगूठा दिखाने का प्रबंध कर दिया है। भाजपा अब देश के सरकारी पेट्रोल पंपों का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए करने जा रही है।
पेट्रोल पंपों और फ्यूल बेचने वाले खुदरा दुकानदारों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के मौजूदा होर्डिंग्स और बैनरों को हटाकर नए बैनर लगाना शुरू कर दिया है, जिसमें भाजपा का चुनावी नारा ‘मोदी की गारंटी’ लिखा है। इसमें कहा गया है कि ‘मोदी की गारंटी का मतलब बेहतर जीवन है।’ इसमें सरकार की फ्लैगशिप स्कीम उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को सिलेंडर देते हुए पीएम की तस्वीर भी है। मीडिया में आई रिपोर्ट के अनुसार, सभी तेल कंपनियों के मैनेजरों को कथित तौर पर बुधवार तक नए फ्लेक्स होर्डिंग्स लगाने के लिए ‘सहयोग’ करने को कहा गया है। अगर किसी पेट्रोल पंप पर इस होर्डिंग को वेंडर नहीं लगाता है तो पेट्रोल पंप मालिक तेल कंपनियों के फील्ड अफसरों को सूचित करें। मिली जानकारी के मुताबिक, ‘मोदी की गारंटी’ वाले होर्डिंग लगाने का निर्णय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अनौपचारिक ‘आदेश’ पर दिया गया है। इनके लगाने पर सार्वजनिक क्षेत्र की र्इंधन कंपनियों – आईओसी, एचपी और भारत पेट्रोलियम को कई सौ करोड़ का फंड खर्च करना होगा। देश में लगभग ८८,००० पेट्रोल पंपों में से ९० फीसदी इन्हीं सरकारी तेल कंपनियों के हैं। २०१९ के लोकसभा चुनाव से पहले भी इस तरह की कवायद सरकारी तेल कंपनियों ने की थी। ‘द हिंदू’ के मुताबिक उस समय पेट्रोलियम डीलरों ने जबरदस्त गुस्सा जताया था। उस समय तेल मार्केटिंग कंपनियों (ओएमसी) ने कथित तौर पर फ्यूल आपूर्ति बंद करने की धमकी दी थी। हालांकि, सरकारी तेल कंपनियों ने आरोपों से इनकार किया था, लेकिन कंसोर्टियम ऑफ इंडियन पेट्रोलियम डीलर्स (सीआईपीडी) ने उस समय मीडिया को बताया था कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना सहित सरकारी सामाजिक योजनाओं को बढ़ावा देने की आड़ में, एनडीए सरकार पेट्रोल पंपों को इस्तेमाल करना चाहती है। कुछ डीलरों ने कहा कि ओएमसी इन पंपों के आंशिक मालिक जरूर हैं और ऐसे कदम उठाने के उनके अधिकार में हैं, लेकिन यह प्रवृत्ति अच्छी नहीं है क्योंकि यह सब एकतरफा किया जा रहा है। इस मुद्दे को महाराष्ट्र कांग्रेस केंद्रीय चुनाव आयोग के पास ले गई। उसने आयोग से कहा कि ये चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है। आयोग ऐसे सभी होर्डिंग को फौरन हटवाए। कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने मार्च २०१९ में चुनाव आयोग को इस बारे में ज्ञापन दिया। कांग्रेस ने मांग की कि चुनाव आयोग पेट्रोल पंपों, हवाई बंदरगाहों और रेलवे स्टेशनों पर लगे होर्डिंग्स को हटाना सुनिश्चित करे। अब सवाल है कि क्या मोदी की गारंटी वाले होर्डिंगों को पेट्रोल पंपों से चुनाव आयोग हटवाएगा? पेट्रोल पंपों पर पीएम मोदी के होर्डिंग का मुद्दा २०२१ के पश्चिम बंगाल चुनाव में भी गरमाया था। उस समय टीएमसी ने इसके खिलाफ ज्ञापन दिया था। तब चुनाव आयोग ने कहा था कि वे होर्डिंग्स हटाने के निर्देश जारी कर रहे हैं। टीएमसी के प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात कर आरोप लगाया था कि विभिन्न केंद्रीय योजनाओं के इन होर्डिंग्स में मोदी की तस्वीरों का इस्तेमाल चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है।