मुख्यपृष्ठसमाज-संस्कृतिएआई की ग्रिप में एरर्स के संग-संग अब इमोशंस भी

एआई की ग्रिप में एरर्स के संग-संग अब इमोशंस भी

-तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग में मानविकी विभाग की ओर से एआई ड्रिवन फ्यूचर पर ब्लेंडेड मोड में आयोजित इंटरनेशनल सेमिनार में प्रस्तुत किए 86 रिसर्च पेपर

सामना संवाददाता / मुरादाबाद

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग में एआई ड्रिवन फ्यूचरः रिवोल्यूशनाइजिंग लैंग्वेज लर्निंग एंड टीचिंग पर मानविकी विभाग की ओर से ब्लेंडेड मोड में टीएमयू के ऑडिटोरियम में आयोजित इंटरनेशनल सेमिनार में एआई-संवर्धित भाषा सीखने के प्लेटफॉर्म, प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (एनएलपी) अनुप्रयोग, भाषा शिक्षण में आभासी और संवर्धित वास्तविकता, अनुकूली शिक्षण प्रणाली, संवादात्मक एजेंट और चैटबॉट, गेमिफिकेशन रणनीतियां, एआई-संचालित मूल्यांकन उपकरण और भाषा शिक्षण के लिए एआई के उपयोग में नैतिक विचार जैसे विषयों पर मंथन हुआ। सेमिनार में करीब दो दर्जन एक्सपर्ट्स ने कुल 20 थीमों पर अपने-अपने विचार साझा किए, जबकि तीन ट्रैक्स में नेशनल डेलीगेट्स के 58 और इंटरनेशनल डेलीगेट्स के 28 समेत कुल 86 शोध पत्र पढ़े गए। इससे पूर्व सेमिनार का शुभारंभ इग्नू, नई दिल्ली के प्रो. प्रमोद कुमार ने बतौर मुख्य अतिथि, फ़ैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग के डीन एवं सेमिनार जनरल चेयर प्रो. राकेश कुमार द्विवेदी, डॉ. पीयूष मित्तल, डॉ. निशीथ मिश्रा, डॉ. पंकज कुमार सिंह, एमआईटी मुरादाबाद की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुगंधा अग्रवाल, स्कॉलर्स एकेडेमी मुरादाबाद की ब्रांच डायरेक्टर डॉ. नविता सिंह, डॉ. शंभु भारद्वाज, डॉ. संदीप वर्मा, सेमिनार की कन्वीनर्स डॉ. सोनिया जयंत और डॉ. इंदु त्रिपाठी की गरिमामई मौजूदगी में मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवम दीप प्रज्जवलित करके किया।
इग्नू, नई दिल्ली के प्रो. प्रमोद कुमार ने बतौर मुख्य अतिथि ने कहा कि तेजी से बढ़ते वैश्वीकरण और तकनीकी प्रगति के दौर में भाषा शिक्षा में परिवर्तनकारी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। यह सच है कि कार्य-आधारित गतिविधियां, संदर्भ आधारित शिक्षण और वास्तविक जीवन की बातचीत भाषा सीखने को अधिक प्रभावशाली बनाते हैं। शिक्षकों की भूमिका अब मात्र जानकारी देने तक सीमित नहीं है, बल्कि वे चिंतनशील, स्वतंत्र और आलोचनात्मक सोच वाले शिक्षार्थियों के निर्माण में मार्गदर्शक बन चुके हैं। डिजिटल उपकरणों और उन्नत प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण तकनीकों का समावेश संवाद कौशल को धार देता है और शिक्षार्थियों का आत्मविश्वास बढ़ाता है। उन्होंने सभी को प्रतिदिन कम से कम 100 शब्दों में कुछ न कुछ लिखते रहने की सलाह भी दी। गेस्ट ऑफ ऑनर स्टॉफ सॉल्यूशंस, सिडनी, ऑस्ट्रेलिया की मिस अर्पिता अग्रवाल ने ऑनलाइन बोलते हुए कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) ने भाषा शिक्षा को नया स्वरूप दिया है। प्रारंभ में एआई-आधारित प्रणालियां व्याकरण सुधार और शब्दावली तक सीमित थीं, लेकिन अब मशीन लर्निंग और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (एनएलपी) ने इन्हें अधिक बुद्धिमान, अनुकूली और इंटरैक्टिव बना दिया है। आधुनिक एआई टूल्स जैसे चैटबॉट, वर्चुअल ट्यूटर और स्पीच रिकग्निशन सिस्टम शिक्षार्थियों को वास्तविक समय में प्रतिक्रिया, उच्चारण सुधार और व्यक्तिगत शिक्षण पथ प्रदान करते हैं। ये प्रणालियां भाषा पैटर्न का विश्लेषण कर त्रुटियां पहचानती हैं, भावना का मूल्यांकन करती हैं और उपयुक्त सुझाव देती हैं।
केपीएल सॉफ्टवेयर कैलिफोर्निया के गनेश कुमार ने ऑनलाइन बोले कि भाषा शिक्षा में एआई का भविष्य संतुलन और तालमेल में निहित है। सबसे प्रभावी मॉडल एक हाइब्रिड होगा, जहां एआई शिक्षण प्रक्रिया के प्रतिस्थापन के बजाए एक शक्तिशाली संवर्द्धक के रूप में कार्य करता है। जब एआई की मापनीयता और अनुकूलनशीलता मानव शिक्षक की सहानुभूति और अंतर्ज्ञान से मिलती है, तो हम एक ऐसा वातावरण बनाते हैं, जहां शिक्षार्थी फल-फूल सकते हैं। कॉग्निटिव एप्स, कनाडा के डॉ. मनदीन गोपीशेट्टी ने कहा कि जैसे-जैसे हम इन तकनीकों को परिष्कृत करना जारी रखते हैं, हमारा ध्यान समानता, सटीकता और पहुंच पर बना रहना चाहिए, यह सुनिश्चित करते हुए कि एआई-संचालित शिक्षा दुनिया भर में जीवन के सभी क्षेत्रों के शिक्षार्थियों को लाभान्वित करे। न्यू जर्सी के मितुल तिलाला ने डेटा गोपनीयता और प्रौद्योगिकी पर अत्यधिक निर्भरता के बारे में अपनी चिंताएं व्यक्त कीं, जिन्हें जिम्मेदारी से संबोधित किया जाना चाहिए, क्योंकि हम एआई को शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र में और अधिक एकीकृत करते हैं। टेक्सॉस के अक्षत खेमका ने कहा कि एआई मानव निर्देश को प्रतिस्थापित करने के बजाय बढ़ाता है। एआई और मानव शिक्षकों के बीच यह तालमेल दुनिया भर के छात्रों के लिए अधिक प्रभावी, आकर्षक और व्यक्तिगत शिक्षण अनुभव पैदा करेगा।
फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग के डीन एवं सेमिनार जनरल चेयर प्रो. राकेश कुमार द्विवेदी ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि भाषा शिक्षा एक नए युग में प्रवेश कर रही है, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता से संचालित है। उन्होंने आज के शैक्षिक परिदृश्य पर आधुनिक भाषा सीखने के तरीकों के परिवर्तनकारी प्रभाव पर जोर देते हुए कहा कि स्टूडेंट्स से ऐसे समृद्ध अवसरों का अधिकतम लाभ उठाने और शैक्षणिक कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह किया। बीसीए सेकंड ईयर की स्टुडेन्ट रिमझिम ने गणेश वंदना पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। सभी अतिथियों को बुके देकर स्वागत किया गया। अतिथियों ने सेमिनार प्रोसीडिंग का विमोचन भी किया। कन्वीनर डॉ. सोनिया जयंत ने सेमिनार की थीम प्रस्तुत की। सेमिनार में बीटेक-सीएस, बीटेक-एआई, बीसीए और बीएससी ऑनर्स-सीएस के स्टुडेंट्स ने प्रतिभाग किया। अंत में सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर उनको सम्मानित किया गया। प्रत्येक पंजीकृत प्रतिभागी को ई-प्रमाणपत्र और ई-स्मारिका प्रदान की गयी। संचालन स्टुडेंट्स प्रत्यक्षा पुंज और आशीष उपाध्याय ने किया।

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