-वाहनों की धुलाई और अन्य सफाई गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग
-ठाणे महानगरपालिका की तरह वसई-विरार मनपा में भी नियम लागू किया जाए
राधेश्याम सिंह / विरार
अप्रैल महीने में ही भीषण गर्मी पड़ने लगी है और गर्मी के कारण मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण क्षेत्र के सभी शहरों और गांवों को पानी की आपूर्ति करने वाले बांधों में पानी का भंडारण दिन-प्रतिदिन कम होता जा रहा है। इसी तरह वसई-विरार शहर के कुओं और बोरवेल में भी पानी का स्तर कम होता जा रहा है। इन कारणों से आने वाले दिनों में भीषण जलसंकट की संभावना है। एक प्रभावी उपाय के रूप में वसई-विरार महानगरपालिका को वसई-विरार शहर के सभी सर्विस सेंटरों पर दोपहिया, तिपहिया, चार पहिया और अन्य वाहनों की धुलाई और अन्य सफाई गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। साथ ही महाराष्ट्र महानगरपालिका अधिनियम की धारा के अनुसार उल्लंघन करने वाले सेवा केंद्रों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए, वसई-विरार महानगरपालिका स्थायी समिति के सदस्य किशोर नाना पाटील ने मांग किया है कि जिस तरह से ठाणे महानगर पालिका ने 16 अप्रैल से 10 जून तक यह नियम लागू किया है। उनकी मांग है कि वसई-विरार मनपा भी तुरंत यही नियम लागू करे। वसई-विरार शहर महानगरपालिका को सूर्या चरण-1 और 3 योजना से प्रतिदिन 200 मिलियन लीटर पानी मिल रहा है तथा 15 नवंबर 2023 से मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण की सूर्या 403 मिलियन लीटर जलापूर्ति योजना से प्रतिदिन 140 मिलियन लीटर पानी दिया जा रहा है। 25 मार्च 2025 को शाम 6 बजे उक्त योजना को बिजली आपूर्ति करने वाले ट्रांसफार्मर के खराब हो जाने के कारण योजना की बिजली आपूर्ति पूरी तरह से बंद हो गई तथा एमएमआरडीए के माध्यम से सूर्या डैम से 140 मिलियन लीटर पानी की आपूर्ति पूरी तरह से बंद हो गई। 30 मार्च 2025 को शाम को उक्त योजना की बिजली आपूर्ति बहाल कर दी गई। उसके बाद चार दिनों तक फिर से यही स्थिति बनी रही। इस बीच वसई-विरार शहर के लोगों को पानी के लिए भारी परेशानी झेलनी पड़ी। इस दौरान नागरिकों को टैंकरों पर निर्भर रहना पड़ा। गर्मी में बिजली और पानी की बढ़ती मांग को देखते हुए शहर की कई सोसायटियों और चॉलों में टैंकर के पानी पर दिन गुजारना पड़ रहा है। आने वाले समय में यह स्थिति लगातार बनी रहने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। वसई-विरार जिला उपप्रमुख शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के किशोर पाटील ने मनपा को सुझाव दिया है कि पानी बचाने के लिए तत्काल उपाय किए जाने चाहिए। पिछले कुछ सालों में वसई-विरार महानगरपालिका में ‘ऑटोमोबाइल सर्विस सेंटर’ खूब फल-फूल रहे हैं। इससे जहां भारी मात्रा में जल और वायु प्रदूषण हो रहा है, वहीं ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमों का उल्लंघन भी हो रहा है।
शहर में ‘ऑटोमोबाइल सर्विस सेंटर’ के लिए महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल से सहमति पत्र लेना और पर्याप्त वायु और जल प्रदूषण नियंत्रण प्रणाली और निपटान प्रणाली रखना अनिवार्य कर दिया गया है। वसई-विरार शहर की आबादी अब 25 लाख को पार कर गई है। स्वाभाविक रूप से वाहन मालिकों की संख्या भी बहुत अधिक है। वाहनों की बढ़ती संख्या के परिणामस्वरूप, मनपा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ‘ऑटोमोबाइल सर्विस सेंटर’ की संख्या में भी काफी वृद्धि हुई है। शहर में कई लोगों ने निजी जमीन या सड़क के किनारे शेड बनाकर सर्विस सेंटर खोल रखे हैं। सर्विस सेंटर के लिए आवश्यक पानी की आपूर्ति निजी कुओं, तालाबों, या बोरिंग के माध्यम से की जाती है। इस वजह से शहर में पानी की भारी कमी होती जा रही है। क्योंकि सर्विस सेंटर में इस्तेमाल होने वाले पानी को रिसाइकिल नहीं किया जाता है, इसलिए यह पानी नालियों में बहा दिया जाता है। गंदगी के साथ-साथ कारों से निकलने वालातेल भी नालियों में जाता है, जिससे अक्सर नालियाँ जाम हो जाती हैं। नारंगी श्रेणी में आने वाले ऑटोमोबाइल सर्विसिंग, मरम्मत और पेंटिंग प्रक्रियाओं सहित सभी ऑटोमोबाइल सर्विस सेंटरों को जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1947 और वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 और खतरनाक और अन्य अपशिष्ट (प्रबंधन और अंतर-सीमा आंदोलन) नियम, 2016 के तहत ऑटोमोबाइल सेवा केंद्रों की स्थापना और संचालन के लिए महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल से एक वैध सहमति पत्र प्राप्त करना अनिवार्य किया गया है और पर्याप्त वायु और जल प्रदूषण नियंत्रण संयंत्र और निपटान प्रणाली है। इस नियम को लागू नहीं करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए गए थे, लेकिन इन सभी नियमों का वसई-विरार महानगरपालिका क्षेत्र में उल्लंघन किया जा रहा है।