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म्हाडा का अजब-गजब कारोबार : रु. ६ लाख का घर रु. ४ हजार ६४० प्रतिमाह मेंटेनेंस! …मिल कामगार परेशान

सामना संवाददाता / मुंबई
पनवेल स्थित कोन में मिल श्रमिकों के लिए निकाली गई लॉटरी में उन्हें छह लाख रुपए में घर मिले थे। कुल २,४१७ घरों की लॉटरी निकाली गई थी, लेकिन अब उसी ६ लाख रुपए के घर के लिए म्हाडा का मुंबई बोर्ड विजेता मिल श्रमिकों से ४,६४० रुपए प्रतिमाह रख-रखाव शुल्क के रूप में ५५,६८० रुपए प्रति साल ले रहा है। पनवेल में ३२० वर्गफुट के घर के लिए भारी रख-रखाव शुल्क ने मिल श्रमिकों के बीच आक्रोश पैदा कर दिया है। इस पृष्ठभूमि में मिल श्रमिकों और उनकी यूनियनों ने अब रख-रखाव शुल्क माफ करने की मांग की है।
२०१६ में मुंबई बोर्ड ने एमएमआरडीए के किराया आवास परियोजना में २,४१७ घरों के लिए लॉटरी आयोजित की थी। इन मकानों की कीमत ६ लाख रुपए तय की गई थी। हालांकि, विभिन्न कारणों से मुंबई बोर्ड ने आठ साल बाद पात्र मिल श्रमिकों को घर देना शुरू कर दिया। विजेता खुश थे क्योंकि उन्हें आठ साल बाद घर का कब्जा मिलेगा, लेकिन उनसे २०२४-२५ के लिए ४२,१३५ रुपए का वार्षिक रख-रखाव शुल्क लिया गया। रख-रखाव शुल्क पर मिल श्रमिक संघों ने नाराजगी जताई। इस नाराजगी पर संज्ञान लेते हुए मुंबई बोर्ड ने लगभग ९०० विजेता श्रमिकों का रख-रखाव शुल्क माफ करके उन्हें राहत दी, जिन्होंने २०१८ और २०२२ के बीच म्हाडा को घर की बिक्री मूल्य का भुगतान किया था। लेकिन अब बोर्ड ने विजेता श्रमिकों पर ५५,६८० रुपए का वार्षिक रख-रखाव शुल्क लगाया है, जो २०२५ में घरों का कब्जा लेंगे। मुंबई बोर्ड ने मुंबई के बाहर ६ लाख रुपए मूल्य के ३२० वर्गफुट के घर के लिए ४,६४० रुपए का मासिक रख-रखाव शुल्क लिया है। ऐसे में बोर्ड की रख-रखाव शुल्क निर्धारण की नीति पर ही सवाल खड़ा हो गया है। यहां तक ​​कि मुंबई में म्हाडा के घरों के लिए बोर्ड इतना भारी रख-रखाव शुल्क नहीं लेता है।
मुंबई बोर्ड के फैसले के मुताबिक, कोन में घर का रख-रखाव शुल्क २०२५-२६ के लिए ५५,६८० रुपए, २०२६-२७ के लिए ६१,२६० रुपए और २०२७-२८ के लिए ६८,३८० रुपए लगाया गया है। मिल श्रमिक एकता समिति ने इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए आरोप लगाया है कि यह मिल श्रमिकों के साथ क्रूर व्यवहार है।

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