-पर्यावरणीय मंजूरी के रोड़े का कैसे होगा समाधान?
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई और ठाणे को नई मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट (एनएमआईए) से जोड़ने के लिए सिडको ने २६ किमी लंबी एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट का प्रस्ताव रखा है। इस परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है और वित्तीय सलाहकार की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। हालांकि, इस परियोजना को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। खबरों की मानें तो इस एलिवेटेड कॉरिडोर की अनुमानित लागत ७८,००० करोड़ रुपए बताई जा रही है, जो अत्यधिक लगती है। ठाणे-बेलापुर रोड और पाम बीच रोड जैसे मौजूदा मार्गों को अपग्रेड कर ट्रैफिक की समस्या हल करने का विकल्प भी उपलब्ध है। सवाल यह है कि क्या यह परियोजना वास्तव में इस भारी निवेश के लायक है?
भूमि अधिग्रहण और सामाजिक प्रभाव
इस परियोजना के लिए बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण की जरूरत होगी, जिससे स्थानीय निवासियों और व्यापारियों पर असर पड़ सकता है। इस संदर्भ में सरकार की पुनर्वास योजना क्या होगी? क्या प्रभावित लोगों को मुआवजा दिया जाएगा? ठाणे-बेलापुर रोड और पाम बीच रोड पहले से ही भीड़भाड़ वाले मार्ग हैं। एलिवेटेड रोड से अस्थायी रूप से ट्रैफिक कम हो सकता है, लेकिन क्या यह स्थायी समाधान होगा? मेट्रो या अन्य सार्वजनिक परिवहन विकल्पों पर अधिक ध्यान क्यों नहीं दिया गया।
पर्यावरणीय और कानूनी बाधाएं
एलिवेटेड रोड का दूसरा चरण मैंग्रोव और कोस्टल रेगुलेशन जोन (सीआरजेड) क्षेत्र से होकर गुजरेगा, जिसके लिए कई पर्यावरणीय स्वीकृतियां आवश्यक होंगी। यह पहली बार नहीं है जब सिडको ने किसी सड़क परियोजना को बिना पर्याप्त पर्यावरणीय मंजूरी के आगे बढ़ाया हो। एक रिपोर्ट की मानें तो इससे पहले भी २,१०० करोड़ रुपए की खारघर-तुर्भे लिंक रोड परियोजना बिना पर्यावरण प्रभाव के आकलन (ईआईए) और जरूरी स्वीकृतियों के आगे बढ़ा दी गई। इस परियोजना के तहत एक सुरंग (टनल) बनाई जानी है, जो पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील पांडवकड़ा पहाड़ियों से होकर गुजरेगी। पर्यावरणविदों और स्थानीय नागरिकों ने इसका विरोध किया, लेकिन सिडको ने नियमों को ताक पर रख दिया।