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जज्बे और जुनून से बनी अफसर! …शादी के बाद नरक बन गई थी जिंदगी

-पति को छोड़कर वापस आ गईं थी मायके
केरल के कोझिकोड की रहनेवाली नौजिशा हर दिन मारपीट और अपमान का सामना करती थीं। मानसिक तौर से कमजोर और अपनी शादीशुदा जिंदगी से इतनी तंग आ चुकी थीं कि उन्होंने आत्महत्या तक करने की कोशिश की। आज ३२ साल की नौजिशा एक पुलिस ऑफिसर हैं। नौजिशा ने कंप्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए) में मास्टर्स किया है और शादी से पहले एक गेस्ट लेक्चरर के तौर पर काम करती थीं। साल २०१३ में उनकी शादी हुई और यहीं से उनके जीवन में परेशानियों का दौर शुरू हो गया। नौजिशा शादी के बाद भी नौकरी करना चाहती थीं। वक्त के साथ उन्हें महसूस होने लगा कि यह शादी उनके लिए किसी जंजीर से कम नहीं। पति बात-बात पर उन्हें मारा करता।
आखिरकार, साल २०१६ में ३ साल तक प्रताड़ना झेलने के बाद अपने १ साल के बेटे के साथ उन्होंने पति का घर छोड़ दिया। इसके बाद दोबारा लेक्चरर की नौकरी शुरू की। साथ ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी करती रहीं। नौजिशा ने केरल पुलिस स्पेशल रिक्रूटमेंट की परीक्षा दीं और सफलता हासिल कर सिविल पुलिस फोर्स में शामिल हो गर्इं। आज नौजिशा अपनी मेहनत और जुनून से केरल में पुलिस अफसर के तौर पर काम कर रही हैं और लोगों को सुरक्षित रखने का जिम्मा अपने कंधों पर उठाया है। साथ ही अपने जज्बे से वह देश की अन्य महिलाओं के लिए नारी शक्ति की बेहतरीन उदाहरण और प्रेरणा भी बन चुकी हैं।

आईएएस अफसर बनकर लिया बचपन में हुई बदनामी का बदला
आईएएस गोविंद जायसवाल ने बचपन में ही ठान लिया था कि बड़े होकर उन्हें एक आईएएस अधिकारी बनना है। गोविंद के पिता रिक्शा चलाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे। बचपन में एक बार गोविंद अपने दोस्त के यहां खेलने गए थे। वहां जब उनके दोस्त के पिता को पता चला कि गोविंद के पिता रिक्शा चलाते हैं तो उन्होंने गोविंद का बहुत अपमान किया। तभी से गोविंद ने ठान लिया था कि वे बड़े होकर आईएएस अधिकारी बनेंगे। यूपीएससी की तैयारी करने के लिए गोविंद दिल्ली आ गए थे। उन्होंने २००७ में अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास कर ली थी। बता दें कि गोविंद जायसवाल के जीवन के ऊपर एक फिल्म भी बनी है, जिसका नाम ‘अब दिल्ली और दूर नहीं’ है। यह फिल्म २०२३ में रिलीज हुई थी।

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