राजेश जायसवाल / मुंबई
महाराष्ट्र महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा हाल ही में जारी किए गए एक आंकड़ों से पता चला है कि राज्यभर में २६ हजार २३२ आंगनवाड़ी केंद्र अभी भी शौचालय की सुविधा से वंचित हैं। एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) योजना के माध्यम से प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल, शिक्षा और पोषण प्रदान करने में इन केंद्रों की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए यह कमी एक बड़ी चिंता का विषय बनी हुई है।
महाराष्ट्र में संचालित एक लाख, दस हजार, ५९१ आंगनवाड़ी केंद्रों में से सिर्फ ८४ हजार २६९ में ही शौचालय की सुविधा उपलब्ध है। शेष केंद्र या तो सार्वजनिक स्वच्छता पर निर्भर हैं या बुनियादी सुविधाओं तक उनकी पहुंच नहीं है। बुनियादी ढांचे में इस कमी ने स्वास्थ्य और स्वच्छता के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा कर रही हैं। इसलिए, क्योंकि ये केंद्र मुख्य रूप से छोटे बच्चों और महिलाओं को सेवा प्रदान करते हैं।
महाराष्ट्र हेडमास्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष महेंद्र गणपुले ने बताया कि शौचालय और पीने के पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं हर बच्चे के लिए जरूरी हैं। यह जरूरी है कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि ये सभी आंगनवाड़ियों में उपलब्ध हों। नेतृत्व संवाद पहल के हिस्से के रूप में महाराष्ट्र विधानसभा में ये आंकड़े पेश किए गए, जो जमीनी स्तर पर आवश्यक बुनियादी ढांचे में चल रही कमियों को उजागर करते हैं। सरकारी नियमों के मुताबिक, हर आंगनवाड़ी केंद्र में शौचालय की सुविधा होना बेहद जरूरी है लेकिन अभी भी लगभग २४ प्रतिशत केंद्रों में शौचालय की सीधी सुविधा पहुंच से कोसों दूर है, जिससे बच्चों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को काफी परेशानियां उठानी पड़ती हैं।